टाटा स्टील की सहायक कंपनी टाटा मेटेलिंक्स ने मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में चरणबद्ध ढंग से एक कोल बेनेफिसिएशन प्लांट, एक भट्टी और एक 50 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाला बिजली संयंत्र लगाने की इच्छा जताई है।
कंपनी ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव के लिए 1000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और बाद में 1,000 करोड़ रुपये के निवेश से परियोजना का विस्तार करेगी। टाटा मेटेलिंक्स ने हाल में आयोजित बुंदेलखंड निवेशक बैठक के दौरान इस बारे में राज्य सरकार के साथ एक सहमति पत्र (एमएयू) पर दस्तखत किए थे।
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि कंपनी के दल ने हाल में राज्य की यात्रा की है और इस दौरान राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रस्तावित निवेश पर चर्चा की। इससे पहले कंपनी ने मध्य प्रदेश व्यापार और प्रोत्साहन निगम को एक पत्र लिख कर कहा था कि ‘उसने उत्तरी बुंदेलखंड में कैप्टिव कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए जांच समिति के पास आवेदन किया है। राज्य सरकार ने इन ब्लॉकों को आवंटित करने के लिए कहा गया है ताकि राज्य में 1,000 करोड़ रुपये निवेश से प्रस्तावित कोल बेनेफिसिएशन प्लांट, भट्टी और 50 मेगावाट के बिजली संयंत्र परियोजना को मदद मिल सके।’
इसके अलावा कंपनी ने मध्य प्रदेश में दूसरे चरण के तहत एकीकृत इस्पात निर्माण इकाई की स्थापना करने की योजना बनाई है। टाटा मेटेलिंक्स के कोल बेनेफिसिएशन संयंत्र की क्षमता 15 लाख टन प्रति वर्ष होगी। कोक विनिर्माण संयंत्र की क्षमता 8 लाख टन प्रति वर्ष और बिजली संयंत्र की उत्पादन क्षमता 50 मेगावाट होगी। इसके लिए कंपनी क्रमश: 375 करोड़ रुपये, 225 करोड़ रुपये और 250 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यदि राज्य सरकार कंपनी को सहयोग बढ़ाती है तो 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। हालांकि इस बारे में र्कोई फैसला राज्य सरकार के रुख के मद्देनजर ही लिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया है कि चूंकि निवेश का प्रस्ताव राय के पिछड़े जिले सागर के लिए आया है, इसलिए राज्य हर संभव मदद कर रही है। सागर बुंदेलखंड इलाके में आता है। टाटा को प्रस्तावित परियोजना के लिए 1100 एकड़ जमीन की जरुरत होगी और निवेश से करीब 20,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा। टाटा मेटेलिंक्स की पिग आयरन विनिर्माण इकाइयां खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) और रेडी (महाराष्ट्र) में हैं।