बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार आया है।
मोदी ने विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार का कारण मूल रुप से पिछले वर्ष की तुलना में केन्द्र से मिलने वाले केन्द्रीय कर की राशि में वृध्दि है। यह इस दौरान 27.6 प्रतिशत तथा सहायक अनुदान 57.4 प्रतिशत रहा।
उन्होंने बताया कि सीएजी के रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य का राजस्व खर्च और गैर योजना राजस्व खर्च वार्षिक मानक तुल्य से अधिक रहा और वेतन खर्च, पेंशन देनदारी, ब्याज का भुगतान तथा सब्सिडी गैर योजना राजस्व खर्च का करीब 59 प्रतिशत रहा।
झारखंड को फटकार
झारखंड वर्ष 2006-07 के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीएस) के तहत मुहैया कराए जाने वाले 100 दिन के रोजगार के लक्ष्य से बहुत पीछे रहा। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को दी गई रिपोर्ट के मुताबिक 23.04 करोड़ मानव श्रम दिवस की बजाए 5.20 करोड़ मानव श्रम दिवस रोजगार का सृजन किया गया।
यह लक्ष्य के मुकाबले 77.5 फीसदी कम है। रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में रोजगार सृजन पर कुल 711.55 करोड़ रुपये खर्च किए गए।रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरईजीएस का बुनियादी मकसद प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार मुहैया कराकर आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है। रिपोर्ट के अनुसार लेकिन वर्ष 2006-07 के दौरान राज्य यह लक्ष्य हासिल करने में विफल रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे नहीं किए जाने, वार्षिक योजना तैयार नहीं करने, लक्षित लाभार्थियों को लेकर असंवेदनशीलता, कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं करने, कोष का कुप्रबंधन जैसे कारणों से लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका।