facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

अभिषेक बनर्जी के साथ तृणमूल का नया दौर शुरू!

Last Updated- December 12, 2022 | 3:33 AM IST

पश्चिम बंगाल की राजनीति में पिछले शुक्रवार को उस समय दिलचस्प मोड़ आया जब तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य मुकुल रॉय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ करीब चार साल तक जुड़े रहने बाद अपनी पुरानी पार्टी में वापसी की। तृणमूल की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, रॉय की बीमार पत्नी को देखने अस्पताल गए थे जिसके कुछ दिन बाद ही तृणमूल में उनकी वापसी हुई। रॉय ने अपने बेटे शुभ्रांशु के साथ पार्टी में फिर से वापसी की है। बताया जा रहा है कि कई और नेता भी तृणमूल में वापसी करने के लिए उत्सुक हैं और वे अभिषेक के संपर्क में हैं। ऐसे में मुमकिन है कि आने वाले दिनों में उन्हें और भी कई महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखा जा सकता है।
लेकिन तृणमूल और पश्चिम बंगाल की राजनीति में अभिषेक बनर्जी उर्फ  भाईपो का उभार पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद एक तरह से पहले से ही निर्धारित था। हाल में हुई पदोन्नति से पहले वह सात साल तक एआईटीसी के युवा अध्यक्ष थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को बड़ा झटका लगा और बंगाल में भाजपा का एक बड़ा उभार हुआ। इसके बाद चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अगली चुनावी रणनीति के जोडऩे लेकर 33 साल के अभिषेक हाल में हुए विधानसभा में ममता के बाद पार्टी के सबसे ज्यादा नजर आने वाले अहम नेताओं में शामिल हो गए जिन्हें स्टार प्रचारक का दर्जा भी हासिल था।  
लेकिन कोई भी इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि राज्य की 292 सीटों में से 213 सीटें हासिल करने वाली तृणमूल उन्हें सरकार में कोई अहम पद जरूर देगी लेकिन अभिषेक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह दो दशकों तक कोई भी मंत्री पद नहीं संभालेंगे। इसकी वजह यह भी है कि उन्हें हमेशा वंशवादी राजनीति के प्रतिनिधि होने के आरोपों से संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने राज्य में पार्टी की भारी जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका भले ही निभाई है लेकिन ममता इस बात को लेकर हमेशा सावधान रही हैं कि अभिषेक को उनके उत्तराधिकारी के रूप में न पेश किया जाए। वह खुद भी इस तरह के सुझावों को खारिज करते रहे हैं। पार्टी का महासचिव नियुक्त किए जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन में अभिषेक ने कहा कि ममता के बाद तृणमूल कांग्रेस में कोई दूसरा अहम शख्स नहीं है बल्कि उनके बाद सभी लोग एक पार्टी कार्यकर्ता हैं।
अभिषेक का उभार पार्टी में कुछ साल पहले से ही शुरू हुआ है। वह 2014 में डायमंड हार्बर संसदीय सीट से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद 2016 में विधानसभा चुनाव में जोश के साथ प्रचार किया। साल 2016 में पार्टी को 211 सीट मिलीं और इस शानदार जीत के बाद यह व्यापक रूप से माना जाने लगा कि उन्हें किसी बड़ी भूमिका की पेशकश की जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। वह राज्य की राजधानी में हुए शपथ ग्रहण समारोह में भी अनुपस्थित रहे जहां बड़ी तादाद में क्षेत्रीय और केंद्रीय नेताओं ने शिरकत की थी।
हालांकि इस बार उनकी पदोन्नति सवाल से परे थी। उनकी प्रबंधन विषय की डिग्री न केवल प्रशांत किशोर को जोडऩे के काम आई बल्कि पार्टी और आई-पीएसी (आई-पैक) के बीच भी तारतम्य बिठाने में इसका फायदा मिला। पार्टी ने प्रशांत किशोर और उनकी टीम द्वारा किए गए डेढ़ साल के व्यापक शोध के आधार पर कई मौजूदा विधायकों को टिकट न देने का फैसला किया और कई की सीट भी बदली गईं। दरअसल, चुनाव से पहले पार्टी बदलने वाले कई लोगों का रोष प्रशांत किशोर की रणनीति से तो था ही, साथ ही उन्हें पार्टी में अभिषेक के बढ़ते कद से भी दिक्कत हुई।
चुनाव के दौरान एक टेलीविजन चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार में अभिषेक ने कहा कि प्रशांत किशोर की टीम ने पार्टी को जो जानकारी दी उसकी वजह से पार्टी से अलग होने वाले नेताओं और पार्टी के वफादार नेताओं का पता चला जो विश्वसनीय भी थे और उनमें चुनाव जीतने की क्षमता भी थी।
जिन लोगों ने अभिषेक की आलोचना खुलकर और गुप्त रूप से की थी वे चुनाव परिणाम के बाद खामोश खड़े हैं। तृणमूल ने न केवल भारी जीत हासिल की बल्कि उनके गढ़ माने जाने वाले साउथ 24 परगना में पार्टी ने 31 में से 29 सीट जीतीं। साथ ही झारग्राम में जहां लोकसभा चुनावों में भाजपा के सेंध लगाने के बाद उन्हें वहां का प्रभारी बनाया गया था, वहां भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया। तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभिषेक ने प्रशांत किशोर की टीम के साथ सीधे अभियान पर अपना ध्यान केंद्रित किया और चुनाव की रणनीति बनाई जबकि भाजपा ने उनको निजी तौर पर निशाना बनाया। उन्होंने कहा, ‘यह दांव उलटा पड़ गया।’
भाजपा के एक नेता ने स्वीकार किया कि शायद पार्टी के लिए बेहतर होता कि वह विकास और उद्योग के एजेंडे पर ध्यान देती। उन्होंने कहा, ‘जिस क्षण आप व्यक्तिगत स्तर पर हमला करना शुरू करते हैं उसका फायदा प्रतिद्वंद्वी दल को मिलने लगता है और अभिषेक हीरो बन गए।’ भाइपो (भतीजे) शब्द पश्चिम बंगाल के इस चुनाव में ही सबसे ज्यादा सुनने को मिला। अभिषेक को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ  से ‘तोलाबाज भाइपो’ से लेकर ‘भाईपो विंडो’ जैसे आक्षेपों और ताने का सामना करना पड़ा। उनके रिश्तेदारों से एक कथित कोयला घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने पूछताछ करनी शुरू कर दी। लेकिन उन्होंने आरोपों को सिर माथे पर लिया और अपनी एक जनसभा में कहा कि अगर उनके खिलाफ  आरोप सच साबित हुए तो वह स्वेच्छा से खुद को सूली पर लटका देंगे।
अभिषेक अब पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए बड़ी योजना पर काम कर रहे हैं। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘यह तृणमूल के लिए कुछ नया नहीं है। लेकिन अतीत में गठबंधन विफल रहे हैं और योजनाओं को थोड़ी ही सफलता मिली है।’ लेकिन उनका मानना है कि अभिषेक इस बार कुछ अलग तरीके से काम कर सकते हैं। वह दूसरे राज्यों से संपर्क करने के लिए एक महीने के भीतर ठोस योजना बनाकर तैयार रहेंगे।
इस बीच वह अपने गृह नगर में चुनाव के बाद भी संपर्क अभियान जारी रखने में मसरूफ  दिखाई देते हैं। बिजली गिरने से प्रभावित परिवारों से मिलने के साथ-साथ उन्होंने पदोन्नति के बाद पार्टी के दिग्गज नेताओं का भी आशीर्वाद लिया। अब वह उन लोगों को वापस पार्टी में लाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं जो भाजपा में यह सोचकर चले गए थे कि अभिषेक कभी उनके लिए परेशानी खड़ी करेंगे।

First Published - June 17, 2021 | 11:24 PM IST

संबंधित पोस्ट