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एनएचडीसी को 3 परियोजनाएं मिलीं

Last Updated- December 05, 2022 | 5:25 PM IST

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य की तीन छोटी पन बिजली परियोजनाओं को नर्मदा हाईड्रो इलेक्ट्रिक डिवेलपमेंट कारपोरेशन (एनएचडीसी) को सौंपने का फैसला किया है।


एनएचडीसी, मध्य प्रदेश सरकार और नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कारपोरेशन (एनएचपीसी) का संयुक्त उद्यम है। यह तीनों परियोजनाएं नर्मदा घाटी में बनने वाली पहली छोटी पन बिजली परियोजना है और इनकी कुल उत्पादन क्षमता 351 मेगावाट है।


नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने अपनी बैठक में इस परियोजनाओं को एनएचडीसी को सौंपने का फैसला किया। ऐसा करने की वजह के तौर पर बताया गया है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों की रुचि ताप विद्युत उत्पादन में है और फिलहाल उन्होंने पन बिजली परियोजनाओं में इच्छा नहीं जताई है। पन बिजली परियोजनाओं के विकास के साथ ही कुछ सामाजिक उत्तरदायित्व भी जुड़े  होते हैं।


इन तीनों पन बिजली परियोजनाओं का निर्माण ऊपरी नर्मदा जोन के राघवपुर, रोसरा और बासानिया में किया जाएगा। एनवीडीए के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘प्राधिकरण जल्द ही एनएचपीसी से लागत, कीमत का विवरण, अन्य शर्तों तथा दशाओं और वित्तीय तथा प्रशासनिक प्रस्ताव की मांग करेगा ताकि उनकी सहायक कंपनी एनएचडीसी परियोजना का क्रियान्वयन कर सके।’


प्राधिकरण के सूत्रों ने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है और इन परियोजनाओं से ऊपरी नर्मदा घाटी में बिजली की मांग को पूरा किया जा सकेगा। इस क्षेत्र में आदिवासियों की बहुलता वाले मंडला और दिनडोरी जैसे जिले आते हैं।


एनवीडीए ने एनएचडीसी से 160 मेगावाट क्षमता वाली होसंगाबाद, हंडिया और बोरसा बिजली परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा था। इससे पहले राज्य सरकार ने इनमें से एक परियोजना में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए निविदा आंमत्रित की थी हालांकि इसके लिए निजी क्षेत्र से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली।


एनएचडीसी ने पहले ही 1,000 मेगावाट क्षमता वाली इंद्रा सागर और 520 मेगावाट क्षमता वाली ओंकारेश्वर पॉवर प्रोजेक्ट नाम से दो मेगा पन बिजली परियोजनाओं को पूरा कर चुकी है। यह दोनों परियोजनाएं नर्मदा नदी पर हैं। दीगर बात है कि इंद्रा सागर पर इस समय उत्पादन क्षमता के मुकाबले आधा है जबकि ओंकारेश्वर में यह आंकड़ा एक-चौथाई है। एनवीडीए ने नर्मदा घाटी में पन बिजली क्षमता का पता लगाने का काम इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ रुड़की को सौंपा है। इसका पहला चरण पूरा हो चुका है।

First Published - March 31, 2008 | 10:38 PM IST

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