केन्द्र सरकार द्वारा 420 मेगावाट की लखवर-व्यासी जलविद्युत परियोजना को राष्ट्रीय योजना करार देने के बाद नेशनल हाइड्रो पॉवर कोर्पोरेशन (एनएचपीसी) और उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजीवीएनएल) के बीच इस परियोजना को हासिल करने के लिए दौड़ तेज हो गई हो।
राज्य सरकार इस योजना के आंवटन में शुरु से ही प्रतिबद्ध नजर नहीं आई। यही कारण है कि यह योजना पिछले बीस वर्षो से फंड की कमी के चलते लटकी हुई थी। इस योजना में 3000-4000 करोड़ रुपये के निवेश की बात की जा रही है। इस परियोजना को पाने के लिए एनएचपीसी काफी सक्रिय है।
एनएचपीसी इस बाबत संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को तैयार करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ मनेरी भाली फेस 2 परियोजना को क्रियान्वित करने वाली राज्य अधिकृत यूजीवीएनएल भी इस परियोजना को पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।
इस परियोजना को लेकर द्धंद्ध की स्थिति केंन्द्र सरकार द्वारा इस योजना को राष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने के बाद उत्पन्न हुई है। परियोजना में योजना आयोग से निवेश की अनुमति प्राप्त होने और विस्तृत परियोजना रिर्पाट को मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र सरकार ने इसमें 90 फीसदी व्यय को उठाने की घोषणा की है। इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों की फेहरिस्त में उत्तरी भारत के कई राज्य दिल्ली, हरियाणा, उत्तरांखड और उत्तर प्रदेश शमिल है।
उत्तरांखड के अस्तित्व में आने के बाद राज्य सरकार ने यमुना नदी पर बनने वाली इस बहुउद्देशीय परियोजना की संशोधित विस्तृत रिर्पोट को तैयार करने का जिम्मा एनएचपीसी को सौंप दिया था। इस परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद इससे 92.7 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किए जाने की उम्मीद है।