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संवत 2081 में 22,000 से 26,000 के बीच टिका रह सकता है निफ्टी: राहुल अरोड़ा

संवत 81 में बैंकों के लिए मूल्यांकन अनुकूल लग रहा है। उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता कमोबेश नियंत्रण में है जिससे बाजार को समर्थन मिल सकता है।

Last Updated- November 03, 2024 | 11:29 PM IST
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बाजार संवत 2081 में प्रवेश कर चुका है और दलाल पथ के तेजड़िए एक शानदार वर्ष की उम्मीदों को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। निर्मल बांग में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुख्य कार्याधिकारी राहुल अरोड़ा ने एक ईमेल इंटरव्यू में पुनीत वाधवा को बताया कि भारत में आय परिदृश्य निराशाजनक रहने से विदेशी निवेशक तुरंत रकम नहीं डाल सकते। बातचीत के मुख्य अंश:

आप संवत 2081 का स्वागत किस प्रकार कर रहे हैं – सतर्कता के साथ या इस उम्मीद के साथ कि बाजार में गिरावट का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है?

मैं कहूंगा कि सतर्कता के साथ उम्मीद और आशावादी होने के बजाय अधिक सतर्क होना चाहिए क्योंकि तथ्य यह है कि हम आय में गिरावट के दौर में हैं और पिछले कुछ समय से ऐसा ही है। जहां घरेलू वृद्धि अपेक्षाकृत मजबूत है, वहीं हम चक्रीय नरमी के दौर से गुजर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के संकेत हैं, लेकिन यह बहुत व्यापक नहीं हैं।

खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ते स्तर के बीच स्थिर वेतन वृद्धि शहरी कामकाजी वर्ग को प्रभावित कर रही है। अगले 12 महीनों में निफ्टी 22,000-26,000 के दायरे में मजबूती ले सकता है।

अगले साल के लिए भारतीय बाजार को लेकर आपका क्या नजरिया है?

आय डाउनग्रेड की वजह से हम सतर्क बने हुए हैं। लेकिन सहायक घरेलू नकदी और अनुकूल वैश्विक तरलता बाजारों के लिए आधार का काम कर सकती है। सूचकांक की बात करें तो इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट की गुंजाइश सीमित है।

क्या अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का वैश्विक वित्तीय बाजारों में असर दिख चुका है?

यदि अमेरिका में बाजार की पसंद का राष्ट्रपति बनता है तो वहां पूंजी प्रवाह सुधर सकता है, खासकर इसलिए कि अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। दूसरी ओर, अमेरिका में कम ब्याज दरें आखिरकार उभरते बाजारों (ईएम) में प्रवाह के लिए सकारात्मक होंगी।

अल्पावधि से मध्यावधि में दुनियाभर में किन शेयर बाजारों में बड़े निवेश की संभावना है?

चीन की प्रोत्साहन घोषणा हालांकि व्यय की मात्रा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन इसमें इक्विटी के लिए प्रत्यक्ष समर्थन शामिल था। इससे ज्यादातर उभरते बाजारों से निकासी हुई और भारत से सबसे अधिक बिकवाली हुई। भारत में आय संबंधित निराशा की वजह से विदेशी प्रवाह में तुरंत तेजी नहीं आएगी।

हालांकि मूल्यांकन कुछ नरम पड़े हैं लेकिन वे अभी भी उस स्तर पर नहीं हैं जिसे ज्यादा आकर्षक समझा जाए। हालांकि, हमारी वृद्धि की रफ्तार कई विकसित और विकासशील देशों से ज्यादा रहने की संभावना है, जिसे देखते हुए भारत अपने उभरते प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले लगातार बढ़त बनाए रख सकता है।

संवत 2081 में मिडकैप और स्मॉलकैप के लिए क्या नजरिया है?

मिडकैप और स्मॉलकैप क्षेत्र में मूल्यांकन काफी अधिक बढ़े हुए थे। इसलिए गिरावट की आशंका थी। हालांकि आय में गिरावट के चक्र के बीच निचले स्तर को बताना कठिन होगा। लेकिन हालिया गिरावट मजबूत बुनियादी आधार और अच्छी मांग से जुड़े इन शेयरों की खरीद के लिए चुनिंदा अवसर देती है।

मौजूदा स्तरों पर आप किन क्षेत्रों को पसंद कर रहे हैं?

बैंकों के लिए मूल्यांकन अनुकूल लग रहा है। उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता कमोबेश नियंत्रण में है जिससे बाजार को समर्थन मिल सकता है। हालांकि ज्यादा असुरक्षित ऋणों से जुड़े बैंकों पर दबाव रह सकता है। आवास वित्त और स्वर्ण वित्त सुरक्षित दांव हो सकते हैं।

हम सुरक्षा और पेंशन योजनाओं के लिए बढ़ती पैठ और मांग की वजह से बीमा कंपनियों पर भी सकारात्मक हैं, भले ही नियामकीय बदलावों के कारण अल्पावधि मार्जिन पर दबाव पैदा हो रहा है। के-आकार की रिकवरी यहां बनी रहेगी, जिसका अर्थ है कि होटल, शराब पेय और कुछ हद तक क्विक सर्विस रेस्तरां जैसे डिस्क्रेशनरी दांव उपभोग क्षेत्रों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

क्या कोई हाल में सूचीबद्ध ऐसा शेयर है जिसमें आप दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करना चाहेंगे, बशर्ते आप उसे कम कीमत पर खरीद सकें?

सस्ते भाव पर ह्युंडै जैसे कुछ खास शेयर आकर्षक दिख रहे हैं। ह्युंडै उन कुछ विदेशी ब्रांडों में शामिल है जो मजबूत स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल पोर्टफोलियो के साथ बाजार में सफलता हासिल करने में कामयाब रहा है। भले ही पैतृक कंपनी के लिए रॉयल्टी भुगतान को लेकर चिंताओं से गतिरोध बना हुआ है, लेकिन ऐसा कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ है। स्विगी ने हाल में अपने मूल्यांकन में कटौती की है। लेकिन यह क्षेत्र अभी भी बहुत आकर्षक बना हुआ है। इसलिए हम इस पर नजर रखेंगे। हम बजाज हाउसिंग, वारी एनर्जीज और आधार हाउसिंग फाइनैंस पर भी नजर रखेंगे।

First Published - November 3, 2024 | 11:29 PM IST

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