भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) की कानपुर शाखा और उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन ब्यूरो (यूपीईपीबी) ने संयुक्त रूप से राज्य में नकली उत्पाद निर्माताओं से संघर्ष कर रहे छोटे और मझोले उद्योगों (एसएमई) की रक्षा करने की ठानी है।
इन दोनों संस्थाओं ने राज्य में बनाए जाने वाले प्रमुख उत्पादों को ट्रेड मार्क देने का फैसला किया है। आईआईए ने ऐसे उत्पादों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस सिलसिले में आईआईए ने यूपीईपीबी की ओर से विशेष समिति का गठन भी किया है।
कानपुर की रकाब, भदोही और मिर्जापुर की कालीन, लखनऊ, बरेली और फर्रुखाबाद के जरी उत्पाद, फिरोजाबाद का कांच का समाना, मुरादाबाद की पीतल की वस्तुओं को जियोग्राफिकल इंडिकेशन रेजिस्ट्रेशन (जीआईआर) प्रणाली के तहत चैन्नई स्थित पेटेंट डिजाइन और ट्रेड मार्क के महानियंत्रक के जरिए पंजीकृत किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य में छोटे और मझोले उद्योगों की तबीयत ठीक नहीं है। मसलन, एसएमई को राज्य के नकली उत्पादों की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इंडियन इंडस्ट्रीइज एसोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष डी एस वर्मा ने बताया, ‘राज्य में मौजूद नकली उत्पादों की वजह से हमलोग विदेशी उपभोक्ता की साख को खोते जा रहे हैं। नकली उत्पादों की गुणवत्ता काफी खराब होती है।’
उन्होंने कहा कि उत्पादों को पेटेंट मिल जाने के बाद निर्माताओं द्वारा उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखना अनिवार्य होगा। अगर निर्माता उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखने में खरा नहीं उतरता है तो उसको दिए गए लाइसेंस और लोगो को रद्द कर किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के इन उत्पादों का वार्षिक कारोबार करोड़ों रुपये का है। पूरे राज्य में करीब 15 लाख लोगों की आजीविका इन उत्पादों की बिक्री से जुड़ी है।