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नन्हे हाथों में कालीन के साथ-साथ कलम

Last Updated- December 07, 2022 | 3:00 PM IST

उत्तर प्रदेश में बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए नई पहल की जा रही है।


कालीन उद्योग में अनुचित बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए श्रम मंत्रालय (भारत सरकार) और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) ने कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के साथ मिलकर राज्य के भदोही और मिर्जापुर जिले के करीब सौ गांवों में बाल श्रमिकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का फैसला किया है।

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष अशोक जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बताया, ‘इस कदम का मुख्य उद्देश्य कारीगरों के बीच कौशल विकास को बढ़ावा देना और उनके परिवार के उन सदस्यों को जो भविष्य में कालीन कला को अपना पेशा बनाना चाहते हैं, प्रशिक्षण देना है।’ इस पहल के तहत बच्चों के  पढ़ाई जारी रखने के साथ-साथ उन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

जैन ने बताया, ‘कालीन कला को सीखने के लिए हमें नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन उनके पढ़ाई में बिना किसी बाधा उत्पन्न किए हुए। यह तभी संभव है जब हम उन्हें कौशल प्रगति के साथ-साथ बेहतर शिक्षा मुहैया भी कराएंगे।’ उल्लेखनीय है कि सीईपीसी राज्य भर में ऐसे 16 विद्यालयों का संचालन करती है जो कारीगरों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराती है।

इन कार्यक्रमों के अलावा, संगठन ने करघाओं की स्थिति के निरीक्षण के लिए नियमित रूप से दौरा करने और कालीन उद्योग से संबंधित आंकड़े इक्ठ्ठा करने का भी फैसला किया है। जैन ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी सरकार वरीयताओं की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत भारत की विभिन्न श्रेणी की कालीनों के शुल्क मुक्त प्रवेश को जारी रखेगी। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सरकार इन क्षेत्रों में बाम श्रम के इस्तेमाल की समीक्षा करने के बाद ही इस तरह का फायदा मुहैया कराती है।

First Published - August 4, 2008 | 9:56 PM IST

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