चक्रवात से प्रभावित अरब सागर में करीब 12 घंटे तक 10 मीटर ऊंची ज्वारीय लहरों और प्रचंड हवाओं का सामना करते हुए तैरते रहनेे वाले श्रमिकों को बचा लिया गया। डूबते जहाज से बच कर बाहर निकलने वालों ने अपने डरावने अनुभव को साझा किया है। इनमें से कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने जान बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी।
युद्घपोत आईएनएस कोच्चि आज 125 श्रमिकों के साथ मुंबई पहुंचा जिन्हें डूब चुके पी305 नौका से बचाकर लाया गया था। तौकते तूफान के कारण इस आवासीय नौका की रस्सी टूट गई थी। इसमें सवार 273 लोगों में से भारतीय नौसेना ने अब तक 184 लोगों को बचा लिया है।
19 वर्षीय श्रमिक मनोज गीते ने जहाज के डूबने के मंजर को याद करते हुए कहा, ‘रस्सी के टूटने के बाद नौका पर माहौल डरावना हो गया। मैंने जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन मैं जीने की जद्दोजहद में पानी में सात से आठ घंटे तक तैरता रहा और नौसेना ने मुझे बाहर निकाल लिया।’
महाराष्ट्र के कोल्हापुर निवासी गीते ने कहा कि जैसे ही नौका डूबने लगी सभी श्रमिक डर गए और उसने सभी श्रमिकों के साथ ही जीवन रक्षक जैकेट पहनकर उफनते सागर में छलांग लगा दी।
पिछले महीने ही नौका पर सहायक की भूमिका में जुडऩे वाले एक श्रमिक ने कहा कि तूफान में उसके सभी दस्तावेज और मोबाइल फोन खो गए।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह रिग पर लौटेगा गीते ने कहा कि वह नाव पर दोबारा जाने को लेकर बेचैन नहीं है और भयानक अनुभव के बाद जान बचने पर संतुष्ट है।
इस घटना में घायल होने वाले एक अन्य श्रमिक ने अपनी जान बचाने के लिए भारतीय नौसेना को धन्यवाद दिया।
उस श्रमिक ने अपने आंसूओं को रोकते हुए कहा, ‘नौसेना के कारण ही आज हम सभी जीवित और सुरक्षित हैं।’