उत्तर प्रदेश में 33 सहकारी चीनी मिलों के विनिवेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जन हित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है।
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कई केंद्रीय और राज्यीय कानूनों के खिलाफ है। याचिका पर आज सुनवाई शुरू हुई। न्यायमूर्ति विनीत सरण और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 26 सितंबर को तय की है।
अदालत ने हालांकि विनिवेश की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस याचिका को महाराजगंज जिले के राजीव कुमार मिश्र ने 10 सितंबर को दाखिल किया था। राज्य सरकार के वकील ने कहा कि याचिका निहित स्वार्थो को पूरा करने के लिए दाखिल की गई है और उन्होंने याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।
इस बीच अदालत ने पीआईएल में प्रतिवादियों की सूची ने मुख्यमंत्री मायावती के नाम को हटा दिया है। राज्य सरकार परिचालन को बेहतर बनाने के लिए चीनी मिलों का निजीकरण करना चाहती है। गैमन, डालमिया, इरा, चड्डा और यूफ्लेक्स ने इन मिलों के लिए अभिरुचि पत्र दाखिल किया था।