रविवार की शाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अपने समर्थक विधायकों की बैठक करने के पहले तक 19 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार को तात्कालिक खतरा नजर आ रहा था, जो अब टलता दिख रहा है। बहरहाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (69 साल) औ्र उनके डिप्टी सचिन पायलट (42 साल) के बीच चल रहा सत्ता संघर्ष एक बार फिर जमीन पर आ गया है।
पायलट खेमे से जुड़े सूत्रों ने कहा कि उनके नेता पार्टी तोड़ सकते थे। उनके मुताबिक पायलट ने इस बात पर जोर दिया कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 6 पूर्व विधायकों में से 2 को मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। बसपा के 6 विधायक हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
पायलट यह भी चाहते हैं कि गहलोत निर्दलीय विधायकों में से एक को मंत्री न बनाएं। पायलट का तर्क है कि इन विधायकों ने कांग्रेस के नेताओं को हराया है और उन्हें मंत्री बनाने से पार्टी के मनोबल पर असर पड़ेगा।
पायलट खेमे को डर है कि गहलोत उन्हें कैबिनेट में जगह देकर न सिर्फ अपनी स्थिति मजबूत करेंगे बल्कि पार्टी में पायलट के प्रभाव को भी कम करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि पायलय समझौता करने को सहमत नहीं थे। गहलोत जादूगर परिवार से आते हैं, जिसका हवाला देते हुए पायलट की पत्नी सारा ने ट्वीट किया, ‘जब हमने दिल्ली की राह पकड़ी तो, बड़े जादूगर भी ठंडे पड़ गए।’
पायलट बनाम गहलोत का टकराव ऐसे समय में आया है तब राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने की चर्चा शुरू हो गई है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब एक महीने पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है।