भारत सरकार की वित्तीय समावेश योजना के तहत राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने उत्तर प्रदेश में कमजोर व कम आय वाले वर्गों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच कायम करने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है। इसके लिए नाबार्ड स्वयं सहायता समूह मॉडल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बैंक की सूची में बंटाईदार काश्तकार और किसानों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। अपने ग्रामीण विकास योजनाओं पर काम करते हुए बैंक, राज्य में 85 से भी अधिक गांवों में समग्र वित्तीय जानकारी मुहैया कराएगा। परियोजना को शुरू करने के लिए नाबार्ड ने राज्य के पांच जिलों को चिन्हित किया है। ये जिले लखीमपुर खीरी, हरदोई, सुल्तान, उन्नाव और रायबरेली है।
नाबार्ड (लखनऊ) के मुख्य महाप्रबंधक सुखबीर सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगर पांच गांवों में पायलट कार्यक्रम सफल होती है तो उसे बाद में राज्य के 85 से भी अधिक गांवों में शुरू किया जाएगा।’ उन्होंने बताया कि यह उम्मीद जताई जा रही है कि नई परियोजना को अगले साल तक शुरू कर दिया जाएगा।
वित्तीय समावेश योजना को सफल बनाने के लिए नाबार्ड और केंद्र सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष में दो कोषों की स्थापना की है। वित्तीय समावेश संवर्धन और विकास कोष राज्य में वित्तीय समावेश को बढ़ावा देगा जबकि वित्तीय समावेश प्रौद्योगिकी कोष का जोर तकनीक को अपनाने पर होगा। प्रत्येक कोष के पास 500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक निधि होगी।
भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड द्वारा सामान रूप से 40:40:20 के अनुपात में प्रत्येक कोष को धन राशि मुहैया कराएगा। सिंह ने बताया, ‘लोगों को अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वित्तीय सेवाओं का चयन करना और उनका लाभ उठाना चाहिए।’ सिंह ने बताया कि राज्य के कमजोर तबकों को यदि बैंक खाते, बचत और निवेश, ऋण आदि वित्तीय सेवाओं को प्राप्त करने के अवसर दिए जाते हैं तो वे भी वित्तीय रूप से मजबूत होंगे।