उड़ीसा सरकार ने राज्य में कैप्टिव बिजली इकाइयों के लिए एक नई नीति की रुपरेखा तैयार कर रही है।
राज्य के ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति ने इस नीति के मॉडल को तैयार किया है। राज्य के पास अभी तक एक भी कैप्टिव बिजली नीति नहीं होने के कारण उड़ीसा में स्थित निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने व्यापारिक विस्तार हेतु बिजली इकाइयों को स्थापित करने के लिए काफी दिनों से जोर आजमाइश कर रही थी।
अनुमानित आकड़ों के अनुसार उड़ीसा में बिजली की 3,243 मेगावाट क्षमता है। इसमें 1,544 मेगावाट क्षमता वाली कैप्टिव बिजली इकाइयां सम्मिलित नहीं है। उड़ीसा बिजली नियामक आयोग ने राज्य में कैप्टिव बिजली इकाइयों को स्थापित करने के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। अभी तक उड़ीसा में स्थित संयंत्रों से उठने वाली अतिरिक्त बिजली की मांग को ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ उड़ीसा द्वारा पूरा किया जा रहा है।
राज्य के ऊर्जा मंत्री एस एन पेट्रो ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 11वी पंचवर्षीय योजना के अंत तक हम राज्य के उपभोक्ताओं की बढ़ती बिजली की मांग को निजी बिजली उत्पादकों (आईपीपी), कैप्टिव बिजली इकाइयों और सरकारी प्लांटो से पूरा करने में सक्षम हो जायेंगे।
कैप्टिव बिजली इकाइयों को स्थापित करने हेतु 2007 में बनाए गए बिजली कानून को मुख्य तौर पर आधार बनाया जाएगा। अभी तक कैप्टिव बिजली इकाइयों के लिए 1910 के बिजली कानून, बिजली आपूर्ति कानून 1948 और उड़ीसा बिजली सुधार कानून 1995 ही अस्तित्व में है। उड़ीसा सरकार ने केप्टिव बिजली इकाइयों द्वारा उत्पन्न होने वाले विपरित प्रभावों के प्रति चिंता जाहिर की है।
कभी-कभी कैप्टिव बिजली इकाइयों के द्वारा वित्तीय उपयोगिता के क्षेत्र में और सब्सिडी के लिए आरक्षित राजस्व के लिए समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा कैप्टिव बिजली इकाइयों द्वारा सुरक्षा पैकजों की क्षमता का घटना, ग्रिड प्रंबधन में समस्याएं उत्पन्न होने और विपरित पर्यावरणीय प्रभाव की घटनाएं भी प्रकाश में आई है।
पेट्रों ने यह भी बताया कि राज्य में अभी कैप्टिव बिजली के वितरण के लिए केन्द्र द्वारा तय किये गये मानकों का क्रियान्वित होना बाकी है। उड़ीसा में अभी कैप्टिव बिजली के उत्पादन को शुल्क मुक्त रखा गया है। इसलिए कैप्टिव बिजली इकाइयों को वृहद पैमाने पर प्रयोग किया जा सकता है।
इसके अलावा कैप्टिव बिजली को राज्य के भीतर विभिन्न फर्मो को उनकी आवश्यकता के हिसाब से उचित दरों में बेचा भी जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकार ने कुछ कैप्टिव बिजली इकाइयों से सहमति पत्र भी हस्ताक्षरित किए है।