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बोर्ड और प्लास्टिक की अंतिम तिथि से बढ़ी परेशानी

Last Updated- December 11, 2022 | 6:11 PM IST

मुंबई में बारिश शुरू होने से सामान्य नागरिकों को भले ही गर्मी से राहत मिल गई हो लेकिन मराठी साइनबोर्ड और प्लास्टिक इस्तेमाल पर सरकारी आदेश की नजदीक आती तारीख ने दुकानदारों के बीच गर्मी बढ़ा दी है। कारोबारी अतिरिक्त समय और पर्याप्त व्यवस्था की मांग कर रहे हैं जबकि प्रशासन इस बार ढील देने के मूड में नहीं है। सरकारी सख्त तेवरों से कारोबारियों की उलझनें बढ़ गई हैं।
महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार का विनियमन और सेवा की शर्तें) (संशोधन) अधिनियम, 2022 में संशोधन के अनुसार, सभी दुकानों को अनिवार्य रूप से देवनागरी लिपि में मराठी साइनबोर्ड लगाने होंगे। यह आदेश राज्य की सभी दुकानों पर लागू होगा जिनमें परिधान स्टोर, किराने का सामान, कार्यालय, रेस्तरां, बार और थिएटर शामिल हैं। वृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) शहर की दुकानों का सर्वे कर रही है और 30 जून के बाद वह मराठी साइन बोर्ड न लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने वाली है। गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सरकार के निर्णय के बाद बीएमसी ने 31 मई की समय सीमा निर्धारित की थी, जिसे बढ़ाकर 10 जून और बाद में यह समयसीमा बढ़ाकर 30 जून कर दी गई।
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सरकार से इस आदेश को कम से कम छह महीने स्थागित करने की मांग कर रहा है। बोर्ड बनाने वाले कारपेंटर, पेंटर इलेक्ट्रीशियन छुट्टी के चलते अपने गांव गए हुए हैं और ज्यादातर व्यापारी गांव और अलग-अलग शादी ब्याह और कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। कैट मुंबई के वाइस चेयरमैन दिलीप माहेश्वरी ने कहा कि हम सरकार के सभी नियम कानून का पालन करते हैं हमें मराठी में बोर्ड बनाने में कोई आपत्ति नहीं है बल्कि हम इस आदेश का स्वागत करते हैं। हमें मराठी भाषा पर गर्व है। बारिश के दिनों में बोर्ड बनाकर सुखाने में और अन्य तकलीफों को देखते हुए इस आदेश को अगले छह महीनों तक स्थगित करना चाहिए। फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन  के अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा कि हम लगातार निगम से समय देने का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि रातोरात बोर्ड बदलना आसान नहीं है। शहर में लगभग 5.08 लाख लाइसेंसी दुकानदार हैं जिनमें से 40 फीसदी को बोर्ड बदलना होगा। बीएमसी उपायुक्त संजोग काबरे ने कहा कि बीएमसी ने दुकानों और प्रतिष्ठानों के नाम मराठी में लिखने के लिए  मई के दूसरे हफ्ते से जागरूकता अभियान शुरू किया था, लेकिन दुकान मालिकों ने कहा कि बोर्ड बदलना खर्चीला होता है इसलिए उन्हें इसके लिए 30 जून तक समय दिया गया है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि सरकारी आदेश के मुताबिक यदि साइनबोर्ड में एक से अधिक लिपियों में नाम है तो देवनागरी का नाम बड़ा होना चाहिए। यदि इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो एक लाख रुपये तक का जुर्माना और प्रति दिन दो हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।

1 जुलाई से प्लास्टिक पर वार
साइनबोर्ड लगाने के साथ ही 1 जुलाई से प्लास्टिक के इस्तेमाल पर भी बीएमसी भारी जुर्माना लगाने की तैयारी में है। बीएमसी द्वारा 1 जून को जारी नोटिस के मुताबिक एक जुलाई से सिंगल यूज वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल पर कार्रवाई की जाएगी। प्लास्टिक इस्तेमाल करने वालों को पहली पर पांच हजार, दूसरी बार 10 हजार उसके बाद 25 हजार रुपये व तीन महीने की सजा हो सकती है। कैट मुंबई प्रांत के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया  1 जुलाई से लागू होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन समान एवं उचित विकल्पों के अभाव में यह प्रतिबन्ध देश के उद्योग एवं व्यापार पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है । बिना वैकल्पिक वस्तु के पूर्ण प्रतिबंध व्यापार और उद्योग के लिए बहुत हानिकारक साबित होगा। विकल्पों की अनुपलब्धता को देखते हुए इस प्रतिबंध को लागू करना कुछ समय के लिए स्थगित किया जाए ।  कारोबारी तरुण जैन ने कहा कि देश भर में दसियों हज़ार उद्योग और उत्पादन इकाइयां प्लास्टिक के व्यापार में लगी हुई हैं जिससे देश में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने की स्थिति में उनकी व्यावसायिक गतिविधियां समाप्त हो जाएंगी जिसके परिणामस्वरूप इन कंपनियों में काम करने वाले ऐसे सभी लोगों की बेरोजगारी भी हो सकती है। इस संदर्भ में सरकार को कुछ व्यवहार्य विकल्प तलाशने चाहिए ताकि ये उद्योग और प्रोडक्शन हाउस अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को ऐसे व्यवहार्य विकल्पों की ओर मोड़ सकें और रोजगार में बाधा न आए।
खुदरा कारोबारियों का कहना है कि सरकार सिर्फ छोटे कारोबारियों को परेशान कर रही है जबकि बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई की बात भी नहीं हो रही है। देश में सिंगल यूज प्लास्टिक का 98 फीसदी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, कॉर्पोरेट निर्माताओं, उत्पादकों, ई-कॉमर्स कंपनियों, वेयरहाउसिंग हब, उद्योग और अन्य प्रकार की उत्पादन इकाइयों द्वारा या तो अपनी उत्पादन लाइन या तैयार माल की पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है। निर्माता या उत्पत्ति के स्रोत से व्यापारियों को जो भी पैकिंग मिलती है, उसी में व्यापारियों द्वारा सामान बेचा जाता है । जब तक इन कंपनियों और विनिर्माण इकाइयों द्वारा उत्पादन लाइन में या तैयार माल की पैकिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बंद नहीं किया जाता तब तक उपभोक्ता के स्तर पर सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग की संभावनाएं बनी रहेंगी । इसलिए ऐसे निर्माताओं को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने के लिए बाध्य करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

First Published - June 18, 2022 | 1:02 AM IST

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