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मंदा नहीं हुआ है प्रॉपर्टी का धंधा

Last Updated- December 07, 2022 | 1:42 AM IST

हममें से ज्यादातर लोग, जिनमें डेवलपर्स भी शामिल हैं, अब मानने लगे हैं रियल एस्टेट क्षेत्र मंदी की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा है।


लेकिन यदि प्रॉपर्टी के पंजीकरण के आंकड़ों पर गौर करें तो कुछ और ही कहानी नजर आती है। पंजीकरण और स्टांप शुल्क महानिरीक्षक कार्यालय से मिले आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट क्षेत्र अभी भी कुलांचे भर रहा है।

आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान प्रॉपर्टी के पंजीकरण की संख्या में बीते वर्ष के मुकाबले 8.42 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके चलते राज्य को स्टांप शुल्क के तौर पर 7,361.81 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाबी मिली जो बीते वर्ष के मुकाबले 31 प्रतिशत अधिक है।

अगर आपको लगता है कि ये तो बीते साल के आंकड़े हैं और अभी तक सूरत बदल चुकी होगी तो अब हम आपको ताजा आंकड़ों से रूबरू कराते हैं। इस साल जनवरी से मार्च के दौरान महाराष्ट्र में प्रॉपर्टी के पंजीकरण में 13.54 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है जबकि स्टांप शुल्क से होने वाली आमदनी में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले दस्तावेज ‘रेडी रेक्नर’ में प्रॉपर्टी की आधार दरों को बढ़ाए जाने के कारण स्टांप शुल्क संग्रह में तेजी का रुख देखने को मिला है। रेडी रेक्नर में विभिन्न इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमत का ब्योरा दिया जाता है और बाजार दर या रेडी रेक्नर दर में से जो दर अधिक हो, उसके आधार पर स्टांप शुल्क लिया जाता है।

मुंबई में जनवरी से मार्च के दौरान प्रॉपर्टी के पंजीकरण में बीते साल के मुकाबले 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि ठाणे, पुणे और नागपुर में यह दर क्रमश: 12.46 प्रतिशत, 17.60 प्रतिशत और 6.08 प्रतिशत रही है।

रियल एस्टेट विश्लेषकों का कहना है कि आमतौर पर लोग सौदा पक्का होने के करीब 3 से 4 माह के भीतर पंजीकरण कराते हैं। इस तरह जनवरी से मार्च 2008 के बीच पंजीकृत हुई प्रॉपर्टी का सौदा अक्टूबर से दिसंबर 2007 के बीच पक्का हो गया होगा और इस आधार पर मौजूदा रुझानों को नहीं बताया जा सकता है।

प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी जोंस लांग लासैले मेधराज के शोध प्रमुख अभिषेक गुप्ता ने बताया कि ‘ये परिसंपत्तियां पहले से बिकी हुई थीं। अक्टूबर से दिसंबर के दौरान जिस प्रॉपर्टी के लिए पूछताछ की गई थी उसके कब्जे को अब कानूनी रूप दिया गया है।’ प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी कुशमैन ऐंड वेकफील्ड के प्रबंध निदेशक संजय दत्त ने बताया कि ‘प्रॉपर्टी बाजार में सर्वाधिक हिस्सेदारी वाले मध्य वर्ग में खरीद-फरोख्त बढ़ी है।

इस वर्ग में 25 लाख से 35 लाख रुपये तक के फ्लैट खरीदे जाते हैं। इस वर्ग को छोड़ दें तो प्रॉपर्टी बाजार में कमोबेश स्थिरता ही है।’ मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाकों में बोरीवली, नवी मुंबई में खारघर और केन्द्रीय उपनगरीय क्षेत्र में ठाणे को छोड़ दें तो शेष इलाकों में खरीदार मुश्किल से ही मिल रहे हैं।

उन्होंने आगे बताया कि खरीद-फरोख्त में करीब 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। कीमतों में तेजी और प्रापर्टी बाजार से निवेशकों के पीछे हटने के कारण यह गिरावट आई है। प्रॉपर्टी बाजार में निवेशकों की करीब 25 से 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आम उपभोक्ता इस समय इंतजार करने की रणनीति को अपनाए हुए हैं। डिवेलपरों का कहना है कि बाजार में स्थिरता है।

नीलकांत समूह के मुकेश पटेल ने बताया कि दिसंबर से मार्च के दौरान हम  प्रत्येक महीने 12 फ्लैट बेच सके हैं। शहरी सीलिंग कानून के आने से उम्मीद थी कि आवक बढ़ेगी और कीमतों में कमी आएगी,  लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाजार स्थिर जरूर हुआ है, लेकिन कीमतों मेंर् आई हो ऐसे संकेत बिल्कुल भी नहीं मिले हैं।

स्टांप शुल्क संग्रह  (करोड़ रु. में)

शहर – 2007 – 2008 – वृद्धि (प्रतिशत में)
मुंबई – 927.51 – 1298.10 – 39.95
ठाणे – 247.36 – 346.75 – 40.18
पुणे – 342.22 – 478.23 – 39.74
नागपुर – 55.11 – 78.96 – 43.27
नासिक – 47.78 – 65.38 – 36.83

पंजीकरण की संख्या (जनवरी से मार्च)

शहर – 2007 – 2008 – वृद्धि (प्रतिशत में)
मुंबई – 41,012 – 44,232 – 7.85
ठाणे – 53,838 – 60,551 – 12.46
पुणे – 68,004 – 79,973 – 17.60
नागपुर – 25,937 – 27,514 – 6.08
नासिक – 23,176 – 28,409 – 22.50

First Published - May 25, 2008 | 11:39 PM IST

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