विश्व बैंक से सहायताप्राप्त पंजाब ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजना के लाभार्थी अंशदान में 50 फीसदी तक कटौती करने के लिए सहमत हो गया है।
पंजाब जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के लगातार अनुरोध करने और लंबे समय तक बातचीत के बाद विश्व बैंक ने यह फैसला किया है। इस परियोजना से करीब 6.7 लाख ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुंचाया जाएगा।
इस परियोजना में 1,18,827 अनुसूचित जातियों की बस्तियां भी शामिल हैं, जिस पर 154 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।?जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया ने बताया कि लाभार्थी अंशदान में संशोधन संबंधी ज्ञापन विश्व बैंक के कंट्री निदेशक से प्राप्त किया जा चुका है।
राज्य सरकार ने लागत सहभाजन नियमावली में संशोधन के लिए विश्व बैंक के पास प्रस्ताव भेजा था। मजीठिया ने बताया कि संशोधित लागत सहभाजन नियमावली के तहत अब कुल पूंजी लागत में घरेलू हिस्सेदारी की अधिकतम सीमा 1500 रुपये (प्रति घर) से घटा कर 800 रुपये (प्रति घर) कर दी गई है, जो सामान्य श्रेणी के लिए है।
इसके अलावा, पिछड़े इलाके के गांवों में 750 रुपये प्रति घर 400 रुपये प्रति घर कर दिया गया है। पिछड़े इलाकों के गांवों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास के गांवों, कंडी क्षेत्र, नमभूमि और जल भड़ाव क्षेत्र आदि को अधिसूचित किया गया है। यहीं नहीं अनुसूचित जाति के समुदाय को प्रमुख लाभ देते हुए सिर्फ 50 फीसदी योगदान करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार के अथक प्रयास और उसके परिणामस्वरूप सकारात्मक परिणाम से उत्साहित होकर मजीठिया ने बताया कि अब विश्व बैंक लाभार्थी योगदान में 50 फीसदी तक कटौती करने के लिए राजी हो गया है।
उन्होंने बताया कि लागत सहभागिता नियमावली में हुए संशोधन से न केवल परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी आएगी बल्कि कुल पूंजी लागत की घरेलू हिस्सेदारी की अधिकतम सीमा में कटौती से विभिन्न समुदायों को भी वित्तीय सहायता मिलेगी।