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भारत-तिब्बत व्यापार के भविष्य पर सवाल

Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 PM IST

चीन सरकार द्वारा अनुमति नहीं देने कारण भारत और तिब्बत के बीच आयोजित होने वाला सालाना विनिमय व्यापार इस साल अधर में लटकता दिखाई दे रहा है।


विनिमय व्यापार का आयोजन इस साल जून में किया जाना था लेकिन पहले तो पेइचिंग ओलेंपिक के कारण इसका अयोजन नहीं किया जा सका और अब चीन सरकार के ताजा रुख के कारण विनिमय व्यापार में अड़चन आ रही है।

अधिकारियों ने बताया कि चीन सरकार ने खराब मौसम के कारण व्यापरियों को पिथौरागढ़ जिले में लिपूलेख दर्रे से तिब्बत के ताकलाकोट बाजार में जाने की इजाजत नहीं दी है। हालांकि कुछ उत्साही व्यापारी इस सप्ताह खराब मौसम के बावजूद ताकलाकोट के लिए चल पड़े हैं।

ये व्यापारी इस समय गुंजी में हैं और अधिकारियों के मुताबिक ये व्यापारी शायद ही तिब्बत तक पहुंच पाएंगे। भारतीय व्यापार अधिकारी नवनीत पाण्डेय ने बताया कि ‘मौसम खराब होने और भारी बर्फबारी के कारण हमें संदेह है कि ये व्यापारी तिब्बत तक पहुंच पाएंगे।’

पिछले दो दशक के दौरान ऐसा पहली बार होगा जब ताकलाकोट में व्यापार नहीं हो सकेगा। इससे पहले अगस्त में आंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए चीनी अधिकारियों ने भारतीय व्यापारियों और कुम्हारों के एक दल को लौटा दिया था। इस सत्र के दौरान 60 व्यापार पास जारी किए गए हैं।

व्यापारी ताकलाकोट पहुंचने के लिए पिथौरागढ़ से ट्रैकिंग करते हैं। ताकलाकोट में दोनों देशों के व्यापारी आपस में वस्तुओं की अदला-बदली करते हैं। पिछले 3 वर्षो के दौरान दोनों देशों के बीच 1 से 2 करोड़ रुपये तक का  विनिमय व्यापार होता है।

भारतीय व्यापारी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने की पीड़ा व्यक्त करते हैं। इसके अलावा व्यापारियों को चीन की रेशम और पशुओं के आयात पर लगी पाबंदी पर भी आपत्ति है जबकि इनकी भारत में काफी मांग है।

व्यापारियों ने इन प्रतिबंधों को तुरंत वापस लेने की मांग की है। भारत में चीनी रेशम की मांग लगातार बढ़ रही है लेकिन केंद्र सरकार को लगता है कि इससे स्थानीय व्यापरियों पर असर पड़ेगा। भारत में पिथोरागढ़ में विनिमय व्यापार का आयोजन किया जाता है।

चीनी और तिब्बती व्यापारियों के साथ विनियम व्यापार के दौरान भारतीय व्यापारी गुड़, ऊन, मसाले और कंबल का विनिमय करते हैं। भारत और तिब्बत के बीच 30 साल के अंतराल के बाद 1992 में द्विपक्षीय व्यापार बहाल हुआ था। इसके बाद 2004 में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 14 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

लेकिन इसके बाद कच्चे रेशम और पशुओं सहित कई उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद व्यापार की मात्रा घटी है और बीते साल दोनों देशों के बीच 1.5 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि प्रतिबंद्ध नहीं हटाए गए तो द्विपक्षीय व्यापार न के बराबर रह जाएगा।

First Published - October 10, 2008 | 9:44 PM IST

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