बुरे वक्त में भी अपने छात्रों को सिर उठाकर चलने की सीख देने वाले प्रबंधन संस्थानों ने इस कहावत को अब खुद पर ही लागू करना शुरू कर दिया है।
बाजार में नौकरियां नहीं होने के बाद भी कई प्रबंधन संस्थानों ने अपने छात्रों की संख्या में लगभग 50 फीसदी बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। सिर्फ यही नहीं संस्थान नए पाठयक्रम भी शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
बाजार में नौकरियों की कमी होने की बात पर प्रबंधन संस्थानों का तर्क है कि मंदी में भी अच्छे छात्रों की मांग हमेशा बनी रहेगी, इसीलिए संस्थानों को छात्रों की संख्या बढ़ाने के साथ ही पाठयक्रम पोर्टफोलियो को भी बढ़ाना चाहिए।
एक प्रबंधन संस्थान के निदेशक ने बताया, ‘इस साल संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्र अगले दो साल में बाहर निकलेंगे, तब तक बाजार के हालात सही हो चुके होंगे।’ कई प्रबंधन संस्थानों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) से सीटें बढ़ाने के लिए मंजूरी भी मिल चुकी है।
हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के छात्रों का वेतन पैकेज जहां पिछले साल 18-20 लाख रुपये था, वहीं इस साल यह घटकर 13-15 लाख रुपये ही रह गया है। इसके बाद भी कॉलेज एक वर्षीय पाठयक्रम के लिए सीटों की संख्या मौजूदा 440 से 27 फीसदी बढ़ाकर 560 करने की योजना बना रहा है।
मुंबई का नरसी मोंजी इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज भी अपनी सीटों की संख्या 240 से 50 फीसदी बढ़ाकर 360 करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा संस्थान सभी पाठयक्रमों को जोड़ने के बारे में भी विचार कर रहा है।
भुवनेश्वर के जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट का दावा है कि छात्रों की नियुक्तियों की बात करें तो उसके छात्रों का प्रदर्शन भारतीय प्रबंधन संस्थानों के छात्रों से काफी बेहतर रहा है। संस्थान ने भी एआईसीटीई में सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन कर रखा है। फिलहाल संस्थान में 120 सीट हैं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 180 करने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही संस्थान इसी साल से 15 महीनों का एक
कार्यकारी स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी शुरू करने की योजना बना रहा है। गाजियाबाद का इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी) भी आंध्र प्रदेश में अपनी एक इकाई खोल रहा है। कॉलेज दिसंबर में एआईसीटीई से सीटों के आवंटन के लिए आवेदन करेगा।
आईएमटी गाजियाबाद के निदेशक बी एस सहाय ने बताया, ‘हम साल 2010 तक वहां परिसर बनाने का काम पूरा कर लेंगे।’ फिलहाल आईएमटी गाजियाबाद में लगभग 80 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट हो चुका है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा इस साल से ओबीसी आरक्षण कोटा लागू करने के कारण भारतीय प्रबंधन संस्थानों को भी सीटों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। आईआईएम-अहमदाबाद के निदेशक समीर बरुआ ने बताया, ‘मुझे लगता है कि अगले साल होने वाली नियुक्तियों के समय भी कुछ ऐसे ही हालात रहेंगे। हम इसके लिए तैयार हो रहे हैं। लेकिन मंत्रालय के निर्देशों के कारण हमें सीटें तो बढ़ानी ही पड़ेंगी।’