कांग्रेस ने आखिरकार बगावत पर उतरे सचिन पायलट को आज उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। उनके खेमे के दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी पद से हटा दिया गया है। पायलट व उनके समर्थकों ने कांग्रेस विधायी दल की बैठक में शामिल होने के व्हिप का पालन नहीं किया, उसके बाद पार्टी ने यह फैसला किया। हालांकि पायलट ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को भरपूर नुकसान पहुंचा दिया है। अब 200 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार के समर्थन में महज 100 सदस्य हैं और सरकार कभी भी गिर सकती है।
गहलोत की चिंता कल उस समय दिखी थी, जब उन्होंने विधायकों को जयपुर के एक रिसॉर्ट में रख दिया था। सरकार अभी सुरक्षित नजर आ रही है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि कब पार्टी टूट जाए। उम्मीद की जा रही है कि कल कैबिनेट की बैठक होगी और विधायकों तक पहुंचने की व्यापक कवायद की जाएगी।
पायलट ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं।’ उनके समर्थकों ने कहा कि यह उनके नेता का सार्वजनिक अपमान है और यह उन्हें पूरी तरह अस्वीकार्य है। वह कल संवाददाता सम्मेलन कर अपनी बात रखेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 73 विधायक हैं और गहलोत की विदायी के लिए उसे 25 से अधिक विधायकों की जरूरत है। यह तत्काल संभव नहीं लगता। दिलचस्प है कि पार्टी ने गहलोत से विश्वास प्रस्ताव लाए जाने की मांग नहीं की है। शायद उन्हें डर है कि इतनी जल्दी सदन में सरकार गिराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाएंगे।
गहलोत ने कहा कि भाजपा मध्य प्रदेश के खेल को राजस्थान में भी दोहराना चाहती थी और विधायकों की खरीद फरोख्त पिछले छह महीने से चल रहा थी।