मंदी की मार झेल रहे हाथ के औजार बनाने वाले उद्योग को राहत पैकेज देने के बावजूद इस उद्योग की हालत में कोई सुधार नहीं आया है।
इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद् (ईईपीसी) के चेयरमैन (हाथ औजार विभाग) शरद अग्रवाल ने बताया कि पैकेज के बाद भी जनवरी में इस उद्योग के निर्यात में पिछले साल की इसी समयावधि के मुकाबले लगभग 50 फीसदी की कमी आई है।
हालांकि इस उद्योग का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने जिस राहत पैकेज की घोषणा की थी, वह काफी अच्छा था। लेकिन अमेरिका और यूरोप में अंतरराष्ट्रीय मंदी के कारण इसके बाद भी निर्यात में मनचाही बढ़ोतरी नहीं हो पाई। अग्रवाल ने बताया कि इन्हीं देशों में हाथ के औजारों का सबसे अधिक निर्यात किया जाता था।
लेकिन मंदी के कारण अब यह बंद हो गया है। अग्रवाल ने बताया कि आने वाले समय में सरकार इस उद्योग को और राहत देने के लिए दूसरे पैकेज की भी घोषणा कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में निर्यातकों को अगले 5 साल के लिए धारा 80 एचएचसी के तहत कर में छूट दी जाए।
इसके अलावा अगर इस उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी है तो उद्योग के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए बैंकों को 7-8 फीसदी की दर पर ही ऋण मुहैया कराना चाहिए।
अग्रवाल ने बताया कि विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले प्री-शिपमेंट क्रेडिट भी लंदन इंटर बैंक की दरों के मुताबिक ही दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना के तहत मिलने वाले ऋण की सीमा भी मौजूदा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ कर देनी चाहिए।
उद्योग को राहत पैकेज पर फिर भी नहीं हुआ हालत में सुधार
पिछले साल के मुकाबले निर्यात में आई है 50 फीसदी की कमी
सरकार कर सकती है उद्योग के लिए और पैकेज की घोषणा