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खजाने पर मंदी की आंच

Last Updated- December 09, 2022 | 7:53 PM IST

मंदी के कारण मध्य प्रदेश के सरकारी खजाने की स्थिति डांवाडोल नजर आ रही है। राज्य सरकार अभी तक यह तय नहीं कर सकी है कि केंद्र द्वारा घोषित पैकेज का कैसे अधिक से  अधिक लाभ लिया जाए।


इस बीच मंदी के बढ़ते प्रकोप के कारण राज्य में दिसंबर 2008 के दौरान कर संग्रह में भारी गिरावट दर्र्ज की गई है। राज्य में दिसंबर महीने में मूल्य वर्धित कर संग्रह में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की है जबकि केंद्रीय बिक्री कर संग्रह में 27 फीसदी की गिरावट आई है।

रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों ने दावा किया है कि क्रेडिट में आई कमी और रियल एस्टेट सेक्टर में छाई मंदी की वजह से राज्य में स्टांप, संपत्ति पंजीकरण शुल्क और कर में अभी भी नकारात्मक रुख जारी है, जिसमें 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

आमतौर पर पेशेवर कर, उत्पादन और मनोरंजन कर संग्रह में वृध्दि दर्ज की जाती है लेकिन दिसंबर 2008 में भी इसमें गिरावट का ही रुख रहा।

पेशेवर कर संग्रह में जहां 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है वहीं उत्पाद शुल्क संग्रह में सिर्फ 2 फीसदी की वृध्दि हुई, जिसमें साल भर में 17 फीसदी की निरंतर वृध्दि दर्ज की जाती है।

वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जी पी सिंघल ने स्वीकार किया, ‘केंद्रीय बिक्री कर में 2 से 3 फीसदी की कमी आई है लेकिन वर्तमान में मंदी एक मुख्य वजह है जिससे परिस्थितियां विकट हो रही हैं।’ हालांकि कर संग्रह के मामले में राज्य अपने लक्ष्य को छू पाने में सफल रहा है।

दिसंबर 2008 के लिए लक्षित 7833 करोड़ रुपये के मुकाबले राज्य में 8292 करोड़ रुपये का कर संग्रह किया गया है। मूल्य वर्धित कर संग्रह मामले में राज्य ने 4318 करोड़ रुपये के लक्षित आंकड़ों के मुकाबले 4605 करोड़ रुपये का कर संग्रह किया है।

दिसंबर 2008 तक उत्पादन शुल्क की 1464 करोड़ रुपये के लक्षित आंकड़ों के मुकाबले 1594 करोड़ रुपये की उगाही की गई। लेकिन स्टांप शुल्क और संपत्ति पंजीकरण कर संग्रह के मामले में राज्य अपने लक्षित आंकड़े 1196 करोड़ रुपये के मुकाबले 1022 करोड़ रुपये का ही संग्रह कर पाया।

First Published - January 8, 2009 | 8:54 PM IST

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