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मंदी ने किया आउटडोर को आउट

Last Updated- December 10, 2022 | 9:21 PM IST

साल 2009 की शुरुआत में आउटडोर एडवर्टाइजिंग कंपनियों के कारोबार में जो तेजी आई थी, उसकी रफ्तार अब धीमी हो गई है। शहर में लगे अधिकतर विज्ञापन होर्डिंग खाली ही पड़े हैं।
कोलकाता की आउटडोर विज्ञापन एजेंसियों के मुताबिक इस उद्योग पर मंदी की मार सितंबर 2008 से ही पड़नी शुरू हो गई थी। लेकिन अब विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
दरअसल, बड़ी कंपनियों को मंदी के कारण काफी नुकसान हुआ है। इसीलिए कंपनियों ने आउटडोर विज्ञापन पर होने वाले खर्च में भी काफी कमी की है। विश्लेषकों की मानें तो सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि देश भर में आउटडोर विज्ञापन एजेंसियों का यही हाल है। विज्ञापन एजेंसियों के कारोबार में लगभग 50 फीसदी की कमी आई है।
कोलकाता की सबसे बड़ी आउटडोर एडवरटाईजिंग कंपनी सेलवेल एडवरटाईजिंग की निदेशक नूमी मेहता ने बताया, ‘अगर आउटडोर एडवरटाईजिंग की बात करें तो फिलहाल कोलकाता में 25-40 फीसदी होर्डिंग्स खाली पड़े हैं। हालांकि यह होर्डिंग की जगह पर भी निर्भर करता है।
पिछले साल दिसंबर तक विज्ञापन उद्योग 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा था। लेकिन इस साल जनवरी से हर महीने आउटडोर विज्ञापनों पर लगभग 4 करोड़ रुपये कम किए जा रहे हैं। जो कि पिछले साल की इसी समयावधि में 2 करोड़ रुपये प्रति महीना ज्यादा था।’
मेहता ने बताया, ‘कारोबार में आई कमी की मुख्य वजह है कंपनियों पर पड़ रहा मंदी का असर। मंदी के कारण कंपनियों ने लागत घटाने के लिए नए उत्पादों के लॉन्च टाल दिए हैं। हालांकि मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में आउटडोर विज्ञापन एजेंसियों की हालत और भी खराब है। वहां तो लगभग 50-60 फीसदी होर्डिंग खाली पड़े हैं।’
आउटडोर एडवरटाईजिंग एजेंसी एसोसिएशन के सचिव निर्मल ठाकुर ने बताया, ‘नवंबर और दिसंबर 2008 के त्योहारी मौसम के बावजूद कोलकाता के आउटडोर विज्ञापन कारोबार में 20-30 फीसदी की गिरावट आई है। पहले हमने इस साल भी उद्योग का कारोबार पिछले साल जैसा ही रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन जनवरी-फरवरी में ही कारोबार घट गया है।’
कोलकाता में रीडिफ्यूजन के कार्यकारी उपाध्यक्ष अमिताव सिन्हा ने बताया, ‘साल 2009 में बड़ी कंपनियों के विकास की रफ्तार पर ही इस पूरे उद्योग की विकास दर निर्भर करेगी।

First Published - March 25, 2009 | 1:39 PM IST

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