मंदी का चूना उत्तर प्रदेश में मनोरंजन के कारोबार को भी लगा है। पिछले साल से शुरु हुई मंदी ने प्रदेश में खुल रहे नए मल्टीपलेक्सों की बाढ़ पर रोक लगा दी है।
साथ ही एकल सिनेमा हॉल भी लगातार बंदी का शिकार हो रहे हैं। बीते साल में उत्तर प्रदेश में तीन दर्जन से ज्यादा सिनेमा हॉल बंद हो चुके हैं। वहीं इसी अवधि में केवल तीन नए मल्टीप्लेक्स ही खुल पाए हैं। राजधानी लखनऊ में पिछले साल एक भी मल्टीप्लेक्स नहीं खुला है।
इतना ही नहीं राजधानी में आए दिन होने वाले फैशन शो की गिनती भी लगातार घटती जा रही है। स्पॉन्सरशिप नहीं मिलने या कम होने के कारण प्रदेश में होने वाली सौंदर्य प्रतियोगिताओं पर भी असर पड़ा है।
राजधानी लखनऊ में ही कई इस तरह की प्रतियोगिताएं बंद हो गयी हैं। मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिल्मों का कारोबार घटने के कारण ही पिछले साल नए मल्टीप्लेक्सों की तादाद न के बराबर रही है। नोएडा, मेरठ और गोरखपुर में केवल एक-एक मल्टीप्लेक्स खुला है जबकि राजधानी लखनऊ में एक मल्टीप्लेक्स करीब-करीब पूरा होने को है।
साल 2008-09 में प्रदेश भर में 42 एकल सिनेमा हॉल बंद हो चुके हैं। इनमें से तीन तो राजधानी में ही हैं। अधिकारियों के अनुसार आज से 10 साल पहले प्रदेश में 1,009 सिनेमा हॉल थे जिनकी तादाद अब घटकर 679 रह गयी है। बीते पांच साल में बलरामपुर जिले में खुलने वाला टीटू सिनेमा हॉल इकलौता एकल हॉल है।
अधिकारियों का कहना है कि मल्टीप्लेक्सों में किराया ज्यादा है जिसके चलते दर्शक उस तरफ कम रुख कर रहे हैं। मल्टीप्लेक्सों की निर्माण लागत भी एकल सिनेमा के मुकाबले काफी अधिक होती है जिसके मुकाबले सरकार से मिलने वाली कर छूट नाकाफी होती है।