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शिंदे को राहत, बागी मंत्रियों के विभाग छिने

Last Updated- December 11, 2022 | 6:00 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत प्रदान करते हुए सोमवार को कहा कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने अयोग्यता नोटिस की वैधानिकता को चुनौती देने वाले बागी विधायकों की याचिकाओं पर जवाब मांगा। हालांकि, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि वे किसी भी अवैध कदम के खिलाफ उसका रुख कर सकते हैं।
 न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला के अवकाशकालीन पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को शिवसेना के 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश भी दिया। महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें बागी विधायकों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को हलफनामा रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील के उस बयान को भी रिकॉर्ड में लिया कि बागी विधायकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
इससे पहले बागी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन के कौल ने पीठ को बताया कि विधायक दल का उद्धव ठाकरे समूह ‘अल्पमत’ में है और ‘राज्य की व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है।’ कौल ने कहा कि मुंबई में इन विधायकों के लिए माहौल अनुकूल नहीं है क्योंकि उन्हें धमकी दी गई है। महाराष्ट्र के शिवसेना विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे ने उपाध्यक्ष द्वारा उन्हें और अन्य बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। उल्लेखनीय है कि शिंदे और बड़ी संख्या में विधायकों ने 21 जून को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की और वर्तमान में वे असम के गुवाहाटी में हैं।

शिंदे के खिलाफ जनहित याचिका दायर
शिवेसना के विद्रोही विधायकों के गुट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे के खिलाफ सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें उनपर महाराष्ट्र में ‘राजनीतिक उथल-पुथल’ मचाने और राज्य सरकार की आंतरिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने का आरोप लगाया गया है। जनहित याचिका में विद्रोही नेताओं के खिलाफ ‘कर्तव्यों का पालन नहीं करने और ऐसी अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए उचित कार्रवाई की मांग की गई है, जिससे जन अधिकारों और सुशासन का अनादर हुआ है।’ महाराष्ट्र के सात निवासियों की तरफ से दायर याचिका में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को विस्तृत आश्वासन योजना प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है, जिसमें कई मंत्रियों की अनुपस्थिति में शासन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई हो।     भाषा

ईडी ने राउत को तलब किया

ईडी ने शिवसेना के सांसद संजय राउत को मुंबई की एक ‘चॉल’ के पुन:विकास और उनकी पत्नी और मित्रों से जुड़े अन्य वित्तीय लेन-देन से जुड़ी धन शोधन की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को तलब किया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्यसभा के सदस्य राउत से कहा गया है कि वह 28 जून को दक्षिण मुंबई में स्थित संघीय जांच एजेंसी के दफ्तर में उसके अधिकारियों के सामने पेश हों और धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराएं। राउत ने इस समन को साजिश बताया है और कहा है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

शिंदे के खिलाफ जनहित याचिका
शिवेसना के विद्रोही विधायकों के गुट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे के खिलाफ सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें उनपर महाराष्ट्र में ‘राजनीतिक उथल-पुथल’ मचाने और राज्य सरकार की आंतरिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने का आरोप लगाया गया है। जनहित याचिका में विद्रोही नेताओं के खिलाफ ‘कर्तव्यों का पालन नहीं करने और ऐसी अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए उचित कार्रवाई की मांग की गई है, जिससे जन अधिकारों और सुशासन का अनादर हुआ है।’

First Published - June 27, 2022 | 11:58 PM IST

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