एनसीआर, मेट्रो व अन्य बड़े शहरों में उभरता बाजार होने और रियल सेक्टर में जारी मंदी के कारण भारत के संगठित रिटेल कारोबार में 2010 के अंत तक भारी उछाल आने की उम्मीद है।
देखा जाए तो देश में अभी रिटेल का कारोबार लगभग 275 अरब डॉलर का है जो प्रतिवर्ष 13 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहा है। रिटेल जानकारों का मानना है कि भारतीय रिटेल कारोबार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी 6 फीसदी के आस-पास है। इसके 2010 के अंत तक बढ़कर 15 फीसदी होने की उम्मीद की जा रही है।
ग्लोबल रिटेल डेवलपमेंट इंडेक्स 2006 के हिसाब से देश में अभी संगठित रिटेल कारोबार 40 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि कर रहा है जिसके अगले तीन वर्षो में लगभग 45 फीसदी प्रतिवर्ष हो जाने की उम्मीद है। रिटेल विश्लेषक अंकित बजाज मानते है कि एक तो रियल एस्टेट सेक्टर में चल रही मंदी ने रिटेल के लिए नए निवेशकों को तैयार किया है।
वहीं दूसरी ओर वैश्वीकरण के चलते देश के बड़े शहरों के बाद अब छोटे शहरों में भी लोग ब्रांडेड वस्तुओं के दीवाने होते जा रहे हैं। इससे संगठित रिटेल कारोबार में बढ़ोतरी होगी। यही नहीं अगर एनसीआर की बात ही की जाए तो 2010 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटकों के यहां आने की संभावना है।
वी मार्ट रिटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रंबध निदेशक ललित अग्रवाल का कहना है अभी हमारे देश के 17 शहरों में लगभग 22 स्टोर हैं और लेकिन रिटेल बूम को देखते हुए हम वित्त वर्ष 2009 के अंत तक 24 अन्य स्टोरों को खोलने की योजना भी बना रहे हैं।