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कंप्यूटर पर मिमिया रहे कुर्बानी के बकरे

Last Updated- December 15, 2022 | 4:29 AM IST

कोरोनावायरस क्या आया, बकरे भी मंडी के बजाय कंप्यूटर पर मिमियाने लगे। बाजार बंदी और तमाम पाबंदियों ने इस बार उत्तर प्रदेश में बकरों की मंडी तो नहीं लगने दी मगर ऑनलाइन बाजार जरूर सज गया है। यह बात अलग है कि अकीदतमंदों को बकरों की परंपरागत खरीदफरोख्त की कमी खल रही है। इसीलिए उलेमा और मुस्लिम संगठन प्रदेश सरकार से कुर्बानी, सामूहिक इबादत और बकरा बाजार लगाए जाने की मांग कर रहे हैं।
बहरहाल राजधानी लखनऊ के नए-पुराने मुहल्लों में सजने वाले बाजारों के बजाय इस बार बकरे माउस के क्लिक या अंगुली की जुंबिश से ही बिक रहे हैं। व्हाट्सऐप से लेकर तमाम वेबसाइटों तक बकरों की तस्वीरें छाई हैं और महज 8,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक में आप अपनी पसंद का बकरा ले सकते हैं। बकरीद का त्योहार एकदम नजदीक आ गया है और कोरोना महामारी के बीच बाजार लगने की उम्मीद न के बराबर है। लॉकडाउन के कारण चार महीने से पैठ बाजार लगे ही नहीं हैं। इसीलिए बकरे और भैंसे साइबर संसार में ही बुक किए जा रहे हैं। बकरों का इतना भारी ऑनलाइन बाजार पहली बार सजा है और यहां माल बेहद सस्ता है। खरीदार बता रहे हैं कि मंडी के बजाय व्हाट्सऐप या वेबसाइट पर बकरे सस्ते भी हैं और बेहतर नस्ल के भी हैं। मजे की बात है कि वेबसाइट से खरीदा बकरा पसंद न आए तो आप उसे बदल भी सकते हैं। पशुबाजार डॉट कॉम से लेकर गोट गुरुकुल डॉट कॉम तक एक से बढ़कर एक वेबसाइट बकरे बेच रही हैं।
व्हाट्सऐप ग्रुप भी पीछे नहीं हैं। लखनऊ में कसाइयों का सबसे बड़ा मुहल्ला बिल्लौचपुरा है। यहां रहने वाले इश्तियाक ने बताया कि साझे की कुर्बानी के ऑर्डर भी व्हाट्सऐप पर लिए जा रहे हैं। कमजोर हैसियत वाले जो लोग अकेले बकरा नहीं खरीद सकते, वे बड़े जानवर की कुर्बानी में साझेदारी कर लेते हैं। इस बार कुर्बानी में हिस्सा 1,200 रुपये से शुरू हो रहा है।
हालांकि गांव-देहात के जिन इलाकों में ऑनलाइन खरीद नहीं है, वहां लोग सीधे या चोरी-छिपे बकरे खरीद रहे हैं। मगर बकरों के कारोबारी मकबूल अहमद ने बताया कि शहरों में ज्यादातर खरीद ऑनलाइन ही हो रही है। साइबर खरीद में देसी बकरा 8,000 से 18,000 रुपये में मिल रहा है और अच्छी नस्ल का जमनापारी बकरा 10,000 से 35,000 रुपये में बिक रहा है। अजमेरी बकरा 30-40 हजार रुपये देने पर ही मिल पा रहा है। बिल्लौचपुरा के बड़े कारोबारी हाजी इरफान का कहना है कि बिचौलिये नहीं होने की वजह से ऑनलाइन बाजार में खरीदारों को फायदा हो जाता है और उन्हें 10-15 फीसदी कम दाम में बकरे मिल जाते हैं। उन्होंने बताया कि बकरा बुक कराते समय 20 फीसदी रकम पेशगी देनी होती है और बकरा घर पहुंचने पर बाकी रकम अदा करनी होती है। अगर बकरा पसंद नहीं आए तो उसे वापस लेने के लिए भी कई कारोबारी तैयार रहते हैं।
बहरहाल बकरीद नजदीक देखकर मुसलमानों की प्रमुख संस्था देवबंद दारुल उलूम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चि_ी लिखकर कुर्बानी और बकरा मंडी लगाने की इजाजत मांगी है। देवबंद के कार्यवाहक कुलपति मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी की शिकायत है कि बकरे लाने-ले जाने वालों को प्रशासन परेशान कर रहा है। उनकी मांग है कि बकरीद के कारण लॉकडाउन शनिवार-रविवार के बजाय मंगलवार-बुधवार को कर दिया जाए। साथ ही उन्होंने सामूहिक नमाज की इजाजत भी मांगी है।

First Published - July 22, 2020 | 11:08 PM IST

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