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भूमिगत जल के दोहन पर कसेगा शिकंजा

Last Updated- December 05, 2022 | 9:15 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने शीतल पेय और मिनरल वाटर बनाने व उसकी सप्लाई करने वाली कंपनियों द्वारा भूमिगत जल के अनावश्यक दोहन को रोकने के लिए जल्द ही एक कानून बनाने वाली है।


इस कानून को आवश्यक रूप प्रदान किया जा चुका है और इस महीने के अंत तक  इसे कैबिनेट की मंजूरी के  लिए भेजा जाएगा। इस कानून के तहत कंपनियों के उक्त क्षेत्र के भूमिगत जल विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। कंपनियों द्वारा ऐसा न करने पर जिला मजिस्ट्रेट, कंपनी के लाइसेंस को रद्द् और उपलब्ध स्टॉक जब्त कर सकेंगे।


अभी उत्तर प्रदेश में शीतल पेय पदार्थ और मिनरल वाटर बनाने वाली कंपनियों को भूमिगत जल को प्रयोग करने के लिए किसी भी विभाग से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है।भूमिगत जल इकाई के निदेशक एम एम अंसारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इन कंपनियों को सिर्फ नगर निगम और स्वास्थय विभाग से लाइंसेस लेने की जरुरत होती है। लेकिन कुछ कंपनियां तो इन विभागों से भी लाइसेंस लेने की जरुरत नहीं समझती है।


उत्तर प्रदेश में यह कानून अन्य राज्यों में इस बाबत बनें कानूनों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।अंसारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों जैसे मेरठ, उन्नाव, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, बहराइच और बस्ती में भूमिगत जल में उच्च स्तर तक आर्सेनिक मिला हुआ पाए जाने पर इस कानून को लागू करने की आवश्यकता समझी जा रही है।


भूमिगत जल में उच्च स्तर तक आर्सेनिक के होने के पता चलने के बावजूद राज्य की राजधानी में लगभग 52 मिनरल वाटर प्लांट और दो शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों के प्लांट चालू है। उत्तर प्रदेश राज्य के भूमिगत जल विभाग के निदेशक ने बताया है कि उन्होंने इस बाबत सरकार को सूचना दे दी है।

First Published - April 11, 2008 | 11:05 PM IST

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