लुधियाना की टेक्सटाइल कंपनियां मंदी की तपिश को दूर करने के लिए अब अपने मुख्य कारोबार पर फिर ध्यान देने की तैयारी में हैं।
कुछ समय पहले जब हालात ठीक ठाक थे तो कंपनियों ने टेक्सटाइल कारोबार से इतर यार्न और निटवियर उत्पादन में कदम रखना भी शुरू कर दिया था। पर अब वे मंदी में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए वापस से मूल कारोबार पर ध्यान देने लगी हैं।
वैश्विक मंदी का असर शहर के टेक्सटाइल उद्योग पर कुछ इस तरह पडा है कि पिछले वित्त वर्ष में शहर से जहां 1,100 करोड़ रुपये का निर्यात देखा गया था, इस वित्त वर्ष में घटकर 800 करोड़ रह जाने की उम्मीद है।
मौजूदा समय में कंपनियों को नकदी की किल्लत हो रही है और ऐसे में जिन कंपनियों ने पहले सहायक कारोबार में नए तरीके से निवेश की योजनाएं बनाई थीं, अब उन्होंने यह इरादा टाल दिया है।
शहर की एक टेक्सटाइल कंपनी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पहले वह यार्न और निटवियर उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने का मन बना रही थी। कंपनी की यूरोप स्थित उत्पादन इकाई से इस निवेश की योजना थी और बिक्री से जो पैसे आते उसे कंपनी के मूल कारोबार पर खर्च किया जाना था।
एक दूसरी टेक्सटाइल कंपनी जो यार्न, टेरी टॉवल और दरी उत्पादन के कारोबार में दखल रखती थी अब अपने गैर-मुनाफे वाले कारोबार (टेरी टॉवल) से ध्यान हटाकर मूल कारोबार की ओर वापस से ध्यान दे रहे हैं।
एक दूसरी कंपनी ने रिटेल के कारोबार में कदम रखा था और इसमें तेजी के साथ विस्तार भी किया था। कंपनी अब इस मुश्किल समय में अपने रिटेल समझौतों पर फिर से विचार कर रही है। कंपनी अब अपनी विस्तार योजनाओं पर फिर से काम कर रही है और रिटेल के किराए को कम करने की तैयारी में है।
लुधियाना निटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत लकड़ा ने बताया कि मंदी के इस दौर में लुधियाना की टेक्सटाइल कंपनियों को कारोबार बनाए रखना मुश्किल लग रहा है। इसीलिए टेक्सटाइल कंपनियां वापस से मूल कारोबार की ओर ध्यान दे रही हैं।