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महाराष्ट्र: लॉकडाउन के विरोध में सड़कों पर उतरे छोटे कारोबारी

Last Updated- December 12, 2022 | 6:26 AM IST

मुंबई में छोटे व्यापारियों ने गुरुवार को सड़कों पर उतरकर सरकार से लॉकडाउन दोबारा न लगाने की अपील की है। राजनीतिक दल लॉकडाउन का विरोध पहले से ही कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने पूरे राज्य में कई तरह के प्रतिबंधों के साथ रात का कफ्र्यू लगाया हुआ है। लॉकडाउन की बढ़ती आशंका से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है तथा कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मुंबई के ओशिवारा इलाके में कारोबारी इम्तियाज शेख कहते हैं कि सरकार लॉकडाउन लगा कर छोटे व्यापारियों को भुखमरी की तरफ धकेलने की तैयारी में लगी हुई है, लॉकडाउन लगने से उद्योग-धंधे और दुकानें सब कुछ बंद हो जाएगा।
कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन से तमाम लोगों की रोजी-रोटी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इस तरह के मुश्किल भरे हालात पिछले साल लोगों ने झेले हैं। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई में लॉकडाउन नहीं लगाना चाहिए। मुख्यमंत्री का बार-बार लॉकडाउन की धमकी देना ठीक नहीं है। लॉकडाउन का पिछला अनुभव बेहद कड़वा रहा है। इस बार कोरोना का टीका भी है, तो क्यों नहीं उसमें तेजी लाई जाए और लोगो को भरोसा दिया जाए कि वे कारोबार करें। राज्य के ज्यादातर कारोबारी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं। फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विरेन शाह का कहना है कि सबको टीका लगना चाहिए। लॉकडाउन हल नहीं हो सकता है। इससे कारोबारी बरबाद हो जाएंगे। शिवसेना को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दल लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं।
लॉकडाउन लगाने की कोशिशों का विरोध करते हुए राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि लॉकडाउन का बोझ अब राज्य नहीं उठा सकता। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि लॉकडाउन लगाना है, तो पहले नौकरीपेशा लोगों और मजदूरों के खातों में सरकार रकम जमा कराए। महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि लॉकडाउन लगाना समस्या का समाधान नहीं है।

First Published - April 1, 2021 | 11:36 PM IST

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