उत्तर प्रदेश कपड़ा प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने और प्रशिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
प्रबंधन ने छात्रों की मौजूदा संख्या को बढ़ाकर दोगुना करने का प्रस्ताव भी दिया है। उल्लेखनीय है कि यूपीटीटीआई उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना कपड़ा प्रौद्योगिकी केंद्र है। संस्थान के 70 साल पुराने छात्रावास का कायाकल्प करने के अलावा 180 छात्रों के लिए एक नया छात्रावास तैयार करने की योजना बनाई गई है, ताकि छात्रों की संख्या बढ़ने पर मांग को पूरा किया जा सके।
इस बारे में संस्थान की वित्तीय मामलों की हाल में हुई बैठक में फैसला किया गया। संस्थान के रजिस्ट्रार राम सागर पाण्डेय ने बताया कि पुनरुद्धार कार्यक्रम के लिए 3 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने बताया कि ‘हम संस्थान और छात्रावास में लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक अलग बिजली फीडर लगाने पर भी विचार कर रहे हैं।
परियोजना कार्यो को बढ़ावा देने के लिए छात्रावास में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था भी होगी।’ उन्होंने बताया कि कपड़ा डिजायनिंग और उत्पादन में प्रशिक्षित लोगों की काफी कमी है। इस कारण मिल मालिकों को अर्ध प्रशिक्षित लोगों को काम पर लेना पड़ता है। संस्थान में सीटों की संख्या को बढ़ाने का मकसद उद्योग के लिए अधिक संख्या में लोगों को तैयार करना है।
संस्थान में इस समय स्नातक और परास्नातक इंजीनियरिंग पाठयक्रमों का संचालय किया जाता है। इसके तहत कपड़ा प्रौद्योगिकी में 20 सीटें, कपड़ा रसायन में 20 सीटें और हस्तनिर्मित धागा प्रौद्योगिकी में 30 सीटें हैं। संस्थान में सभी पाठयक्रमों के लिए संकाय की कमी है। केवल कपड़ा इंजीनियरिंग विभाग में ही 7 प्रोफेसरों और लेक्चर्र की जरुरत है।
यहां तक कि कुलपति और वित्त अधिकारी जैसे प्रमुख पदों पर भी अस्थायी स्टॉफ काबिज हैं। अध्यापकों की कमी के बारे में पाण्डेय ने बताया कि अतिथि संकाय के जरिए कमी को पूरा किया जा रहा है और जल्द ही नई भर्तियां शुरू की जाएंगी।
संस्थान में पिछले 15 वर्षों से छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे प्रोफेसर बी डी दीक्षित ने बताया कि संस्थान की खोई हुई पहचान को वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एक समय में यह संस्थान दुनिया भर में मशहूर था। दीक्षित ने बताया कि कुछ एक खाली पदों के लिए अखबार में विज्ञापन दिए गए हैं और आवेदकों की छंटनी की जा चुकी है।