छत्तीसगढ़ में स्पंज आयरन इकाइयों को कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो 15 अगस्त के बाद इकाइयों में बंदी की नौबत आ सकती है।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘ज्यादातर इकाइयों में 12 से 15 दिन के लिए ही कच्चा माल बचा है। यदि संकट जारी रहा तो ज्यादातर इकाइयों के सामने उत्पादन को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।’
राज्य में स्पंज आयरन की 125 इकाइयां हैं। इन इकाइयों में 1.2 करोड़ टन लोहे की मांग हैं जबकि इन्हें राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) से केवल 25 लाख टन लोहा ही मिल पाता है। राज्य के दांतेवाड़ा में एनएमडीसी की एक बड़ी खदान है। एनएमडीसी की तीन मशीनीकृत खदानों में से दो दांतेवाड़ा में हैं जबकि एक कर्नाटक में है।
कंपनी अपने लौह अयस्क के बड़े हिस्से का जापान और अन्य देशों को निर्यात करती है। नचरानी ने बताया कि स्थानीय उद्योगपति एनएमडीसी से लौहो का कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। कारोबारियों की मांग है कि ‘कोटे को बढ़ाकर कम से कम 40 लाख टन किया जाना चाहिए ताकि उन्हें कुछ तो राहत मिल सके। लेकिन उनकी मांग पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।’