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बाढ़ में सब साथ, फिर भी देरी

Last Updated- December 07, 2022 | 8:00 PM IST

बाढ़ की विनाशलीला को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को 1.25 लाख टन की सहायता देने की पेशकश कर दी थी, ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके।


लेकिन अभी तक मात्र 550 टन अनाज ही उठ पाया है। केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वे अनाज की ज्यादा से ज्यादा मात्रा उठाए। उन्होंने कहा कि इस बाबत भारतीय खाद्य निगम की विशेष कंट्रोल शाखा भी बनाई गई है, ताकि अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

इधर बिहार सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनाज उठाने की प्रक्रिया चल रही है। जिस हिसाब से मांग हो रही है, उसी हिसाब से इसका वितरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात को लेकर खुद काफी सजग है कि इन अनाजों को बाढ़ पीड़ितों तक यथाशीघ्र पहुंचाया जाए।

इस पूरे प्रकरण में विलंब का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना है। बाढ़ की विनाशकारी स्थिति से निपटने के लिए सारे दलों में एकजुटता दिख रही है। इसके अलावा कई दलों ने अपने प्रयासों से राहत शिविर भी लगाए हैं।

वैसे राहत कार्य को लेकर थोड़ी सियासी बयानबाजी तो चल ही रही है, लेकिन आपदा के इस मौके पर सभी दलों, आम लोगों और गैर-सरकारी संस्थाओं की एकजुटता काबिले तारीफ है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि ऐसी आपदा की स्थिति में सबका एकजुट होना अच्छी बात है। लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि राहत कार्य पहुंचाने की तत्परता के बावजूद मौसमी गड़बड़ियों और अन्य कारकों की वजह से थोड़ा विलंब हो रहा है।

First Published - September 5, 2008 | 9:59 PM IST

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