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ऑपरेटरों को महंगी पड़ी हड़ताल

Last Updated- December 09, 2022 | 9:26 PM IST

ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल खत्म होते ही उत्तर प्रदेश की सड़कों पर ट्रकें दौड़ चले हैं पर इससे होने वाले घाटे की भरपायी मुश्किल होगी।


उत्तर प्रदेश के ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि दो दशकों के दौरान हुई इस सबसे बड़ी हड़ताल के बाद उन्हें हासिल तो कुछ नही हुआ है पर चपत जरूर गहरी लगी है। अकेले उत्तर प्रदेश में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से ऑपरेटरों को 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हो गया है।

राजधानी लखनऊ के ट्रक ऑपरेटरों ने हड़ताल के दौरान 3 करोड़ रुपये का घाटा सहा है। हड़ताल से ट्रक ऑपरेटरों से ज्यादा गल्ला मंडी के थोक व्यापारियों को घाटा हुआ है जहां माल की आवक कम होने की आशंका के चलते मंहगे दामों पर खाद्य तेलों और दाल की खरीद की गयी थी।

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंड़ी के प्रांतीय प्रवक्ता का कहना है कि बीते आठ दिनों तक चली ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल इधर के सालों की सबसे लंबी हड़ताल रही है जिससे न केवल दालें बल्कि सब्जियां भी खासी महंगी हो गयी थीं।

उनका कहना है कि इस हड़ताल के बाद ट्रक ऑपरेटरों को तो कुछ नही मिला उलटा उन्हें जनता के कोप का भाजन भी बनना पड़ा। ट्रक ऑपरेटरों को हड़ताल खत्म होने के बाद वादों के सिवाय कुछ भी नहीं मिला है।

हड़ताल पर सरकार के अड़ियल रवैए से नाखुश उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्टरों नें अब हर साल 12 जनवरी को काला दिवस मनाने का फैसला किया है। व्यापारियों का कहना है कि प्रदेश के बाहर से आने माल की ढुलायी सामान्य होने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा।

इस अवधि के दौरान दालें बढ़े हुए दामों पर ही मिलेगी। गौरतलब है कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में दलहन की आमद महाराष्ट्र और कर्नाटक से होती है।

First Published - January 13, 2009 | 8:34 PM IST

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