मध्य प्रदेश की बुनियादी नींव को मजबूत करने के लिए 2008 काफी उल्लेखनीय रहा। इस साल राज्य की बिजली, सड़क और पानी पर पहुंच और भी ज्यादा मजबूत हुई है।
राज्य ने अपनी बिजली क्षमता को 6923.80 मेगावाट करने के लिए 1903 मेगावाट को पीपीपी (सार्वजनिक निजी समझौते) के तहत विकसित किया है। इसके लिए सरकार ने निजी साझेदारों के साथ मिलकर लगभग 10 सड़क परियोजनाओं पर काम भी शुरू किया है।
इन सड़क परियोजनाओं की लंबाई लगभग 1602.39 किलोमीटर है और इसके अंतर्गत 1.28 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को शमिल किया जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने काफी मशक्कत के बाद 500 मेगावाट वाली बीरसिंहपुर बिजली परियोजना और 210 मेगावाट वाली अमरकंटक ताप विद्युत परियोजनाओं की इस साल से शुरुआत कर दी है।
इन परियोजनाओं का नेतृत्व भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स द्वारा किया जा रहा है। मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी ने शाहपुरा ताप विद्युत स्टेशन के विस्तार का काम भी शुरू कर दिया है। इसमें पहले चरण के तहत 2000 मेगावाट और दूसरे चरण में 1500 मेगावाट का विस्तार किया जाएगा।
पिछले साल खजुराहो और इंदौर में आयोजित की गई निवेशक बैठकों के तहत भी कई बिजली कंपनियों के लिए राहें आसान की गई है।
राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 2.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इनमें से 1,000 हजार करोड़ रुपये का निवेश केवल बिजली परियोजनाओं में ही किया जाएगा।
मध्य प्रदेश में बिजली परियोजनाएं शुरू करने वाली कई कंपनियों ने कानूनी मंजूरी को प्राप्त करने और जमीन अधिग्रहण की शुरुआत भी कर दी है।
इनमें से झाबुआ पावर लिमिटेड (केडिया पावर लिमिटेड)-(600 मेगावाट की दो परियोजनाएं), एस्सार पावर लिमिटेड (600 मेगावाट की दो परियोजनाएं है), टुडे एनर्जी (एमपी)प्राइवेट लिमिटेड(600 मेगावाट की दो परियोजनाएं),आर्यन कूल बेनीफिशरिश प्राइवेट लिमिटेड (300 मेगावाट की तीन परियोजनाएं),जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड(660 मेगावाट की दो परियोजनाएं) प्रमुख है।
कोयले की खानों के होने और राज्य सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण में सहायता को देखते हुए बिजली कंपनियों की नजर में मध्य प्रदेश एक अच्छा विकल्प बन गया है। इसी तरह से राज्य ने पीपीपी मॉडल के तहत 11 सड़क परियोजनाओं को भी व्यापक स्तर पर शुरु किया है।
ज्ञात हो कि 2006 के अंत तक राज्य में 1664 किलोमीटर लंबाई की 9 परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा राज्य सरकार ने निवेशकों को आर्कषित करने के लिए एक नई नीति भी बनाई है।
इसके तहत प्रत्येक बीओटी यानी बनाओ, चलाओ और स्थानांतरित करो के आधार पर सड़क उपलब्ध कराने पर कंपनी उस पर अगले पंद्रह साल के लिए टोल टैक्स का भुगतान पा सकेगी।
इसके अलावा राज्य सरकार ने बीओटी के तहत सड़क बनाने वाला पहला राज्य बनने के कारण केंद्र सरकार से विशेष अनुदान कोष भी प्राप्त किया है।
बीओटी मॉडल के तहत राज्य में लगभग 4 सड़क परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनकी लंबाई 398.64 किलोमीटर है। इनके निर्माण में 613.82 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके अलावा राज्य की दूसरी 17 परियोजनाओं को एशिया विकास बैंक द्वारा कोष उपलब्ध कराया जाएगा।
निजी साझेदारों ने इन परियोजनाओं में से 10 के ऊपर 2008 में ही काम करना शुरू कर दिया है। बाकी की 1602.39 किलोमीटर लंबी सड़कों को 985.86 करोड़ रुपये का निवेश करके 2008 में ही पूरा कर लिया गया है।