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चीनी मिलों ने मांगी बिजली की अधिक कीमत

Last Updated- December 07, 2022 | 12:04 PM IST

महाराष्ट्र में सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों ने सह-उत्पादन संयंत्रों में पैदा की जाने वाली बिजली के लिए अधिक कीमत या फिर बिजली को देश के किसी भी हिस्से में बेचने की आजादी देने की मांग की है।


राज्य में चीनी मिलों को सहायक इकाइयों में पैदा की जाने वाली बिजली के लिए 3.05 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान किया जाता है। महाराष्ट्र राज्य चीनी सहकारी महासंघ लिमिटेड (एमएसएससीएफएल) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाईकनवारे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘हम महाराष्ट्र राज्य बिजली नियामक आयोग (एमईआरसी) के समक्ष इस महीने के अंत तक याचिका दायर करेंगे।

एमईआरसी ने 2003 में सह-उत्पादन संयंत्रों से पैदा की जाने वाली बिजली की दर तय की थी और अब हालात काफी बदल चुके हैं, इसलिए हम दरों को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।’ चीनी मिलें पेराई के बाद बचे गन्ने के अवशिष्ट से बिजली तैयार करती हैं। राज्य में इस समय 20 सह-उत्पादन संयंत्र हैं और उनकी कुल उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट है। इसके अलावा 55 और इकाइयां उत्पादन के विभिन्न चरण में हैं। इन इकाइयों की कुल स्थापित क्षमता करीब 1,000 मेगावाट होगी।

इस बारे में राज्य बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘यदि सहकारी चीनी मिलें अपनी उत्पादन लागत के आधार पर एमईआरसी से सिर्फ ऊंची दरों की मांग कर रही हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि राज्य सरकार देश में कहीं भी बिजली बेचने की उनकी मांग का विरोध करेगी।’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा इन चीनी मिलों में राज्य सरकार से घटी दर पर कर्ज लिया है।

सरकार ने राज्य में बिजली की मांग को पूरा करने के तहत सहकारी चीनी मिलों के लिए योजना तैयार की। इस योजना के तहत संयंत्र की स्थापना के लिए आवश्यक पूंजी का केवल 5 प्रतिशत ही चीनी मिलों को जुटाना था जबकि शेष 5 प्रतिशत राशि राज्य सरकार ने अनुदान के तौर पर दी। इसके अलावा चीनी मिलों को अनुमति दी गई कि वे कुल परियोजना लागत का 30 प्रतिशत तक कर्ज केन्द्र सरकार के चीनी विकास कोष (एसडीएफ)ले सकती हैं ।

First Published - July 20, 2008 | 10:42 PM IST

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