कच्चे माल और क्राफ्टिंग पेपर की कीमतें लगातार बढ़ने के कारण पहले से ही बेहाल पैकेजिंग इंडस्ट्री उत्तर प्रदेश सरकार के उदासीन रवैये के चलते राज्य से छूमंतर हो रही है।
राज्य से डिब्बा और पैकेजिंग कारोबारी दूसरे राज्यों की ओर गमन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश कोरयूगेटेड बॉक्स मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (यूपीसीबीएमए)के अध्यक्ष संजीव ढींगरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले दो वर्षो के भीतर उत्तर प्रदेश से पैकेजिंग इडस्ट्री का लगभग 22 फीसदी हिस्सा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चला गया है।
ढींगरा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कारोबारियों को 4 फीसदी की दर से वैट अदा करना पड़ता है। कारोबार के विस्तार के लिए ऋण लेने पर आयकर भी देना पड़ता है। इसके अलावा 14.5 फीसदी की दर से उत्पाद शुल्क और सामान लाने ले जाने पर 1 फीसदी की दर से प्रवेश कर भी देना पड़ता है।
सरकार जरुरी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराने में कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रही है। इसके विपरीत हिमाचल और उत्तराखंड में पैकेजिंग कारोबारियों को ज्यादातर करों से छूट भी मिली हुई है। यहां कारोबारियों को उत्पाद शुल्क नहीं देना पड़ता है। साथ ही बिक्री कर केवल 1 फीसदी ही अदा करना पड़ता है। इन राज्यों में बुनियादी सुविधाओं को भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा रहा है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार राज्य में पैकेजिंग इंडस्ट्री 15 से 20 फीसदी की वार्षिक दर से वृद्धि कर रही हैं। लेकिन इस इंडस्ट्री को अगर सरकारी उदासीनता से निजात मिल जाए तो यह इंडस्ट्री आने वाले समय में 30 से 35 फीसदी की वार्षिक दर से वृद्धि कर सकती है। उत्तर प्रदेश में अभी इस इंडस्ट्री के चार मंडल मुरादाबाद, कानपुर, वाराणसी और सहारनपुर है। इसके अलावा नोएडा ,आगरा, इलाहाबाद और अलीगढ़ भी इस इंडस्ट्री के प्रमुख केन्द्र है।