उत्तराखंड में चमोली जिले के पर्वतीय कस्बे गोपेश्वर में रहने वाले लोगों के लिए उस वक्त आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने लखटकिया कार नैनो को सड़क के किनारे खड़ा देखा।
नैनो ने पंतनगर से अपनी यात्रा शुरू कर उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों से गुजरते हुए गोपेश्वर तक का सफर तय किया था।
टाटा मोटर्स के इंजीनियरों द्वारा हिमालय के बीहड़ इलाकों में नैनो के लिए सबसे कठिन परीक्षण का आयोजन किया गया था। उल्लेखनीय है कि पहाड़ी इलाकों में इस छोटी कार की माइलेज को 17 से 20 किमी प्रति लीटर के बीच बताया जा रहा है।
पंतनगर स्थित टाटा मोटर्स संयंत्र के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम लोग उत्तराखंड और पुणे के पहाड़ी इलाकों में नैनो का परीक्षण कर रहे थे। प्रारंभिक रिपोर्ट काफी प्रोत्साहित करने वाली है।’
अधिकारियों ने बताया कि श्रृंखलाबध्द परीक्षणों के बाद यह कार अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लॉन्च होने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि नैनो को किस दिन लॉन्च किया जाएगा इसके बारे में फैसला कंपनी के अध्यक्ष रतन टाटा ही करेंगे।
कंपनी राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी को पहले ही आश्वासन दे चुकी है कि वे नैनो को सबसे पहले उत्तराखंड से ही लांच करेगी। राज्य सरकार ने टाटा मोटर्स की विस्तार योजना के लिए पंतनगर में करीब 45 एकड़ अतिरिक्त भूमि का आवंटन भी किया है।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति फैसला सुना चुकी है। इस बाबत समिति की बैठक 22 दिसंबर को बुलाई गई थी। वर्तमान में टाटा मोटर्स पंतनगर से एस ट्रकों का निर्माण कर रही है।
उल्लेखनीय है कि नैनो के वाणिज्यिक लॉन्च को पहले ही कम से कम दो से तीन महीनों के लिए मुल्तवी कर दिया गया है। नैनो के लॉन्च में देरी की मुख्य वजह सिंगुर मामला और वैश्विक आर्थिक मंदी को माना जा रहा है।
बहरहाल, नैनो की मुख्य इकाई को गुजरात में स्थापित किया जाएगा, जहां कंपनी को हाल ही में 1100 एकड़ भूमि मुहैया कराई गई है। टाटा मोटर्स पंतनगर में एक स्थायी विनिर्माण सुविधा की स्थापना की योजना बना रही है।
कंपनी को 45 एकड़ दिए गए भूमि के अलावा राज्य के मुख्यमंत्री ने कंपनी के अधिकारियों को यह भरोसा दिलाया है कि उनकी अन्य मांगों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।