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ग्राहक बोले ‘मोहे न भाए तोरी कार पुरानी’

Last Updated- December 05, 2022 | 7:16 PM IST

हर महीने की एक तारीख को नई यात्री कारों की बिक्री में जोरदार उछाल के आंकड़े आते हैं लेकिन अगर बात पुरानी कारों की की जाए तो पूरा का पूरा महीना गुजर जाता है और इन गाड़ियों को मुश्किल से ही खरीदार नसीब होते हैं।


नवाबों की नगरी लखनऊ में पुरानी कार के बाजार को मुश्किल दौर से जूझना पड़ रहा है। उद्योग से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि नई कारों के लिए आसानी से लोन मिलने के कारण लोगों की रुचि पुरानी गाड़ियों में घटी है जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी से  इस्तेमाल की हुई गाड़ियों पर 4 प्रतिशत का मूल्य वर्धित कर (वैट) के लागू होने से मांग घटी है।


यह भी उल्लेखनीय है कि नई कार खरीदने के लिए कर्ज की ब्याज दर 11.26 प्रतिशत है जबकि पुरानी कार लेने पर 16.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ता है।एक कार डीलर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान कहा कि पहले नई और पुरानी कारों की बिक्री का अनुपात 1:1 था लेकिन  वैट के लागू होने के बाद पिछले कुछ महीनों के दौरान इसमें नाटकीय ढंग से बदलाव आया है।


यश कार बाजार प्राईवेट लिमिटेड के मंसूर ने भी कुछ ऐसी ही बात कही। उन्होंने कहा कि ‘चूंकि ज्यादातार बैंक नई कार के लिए आसान शर्तो पर कर्ज दे रहे हैं इसलिए हमारा कारोबार काफी हद तक प्रभावित हुआ है। जब कोई व्यक्ति 25 से 30 हजार रुपये देकर नई कार खरीद सकता है तो फिर वह भला पुरानी कार लेना क्यों चाहेगा?’


उन्होंने कहा कि नई और पुरानी कारों को खरीदने के लिए फिनांश की शर्तो को देखने के बाद ग्राहक नई गाड़ी को खरीदना ही बेहतर समझते हैं। इसके अलावा कंपनियां अब नई कार की खरीद पर कई वर्षो तक मुफ्त सर्विस की सुविधा भी दे रही हैं। इस कारण भी नई गाड़ी को खरीदना फायदे का सौदा बन जाता है।


लखनऊ में करीब 25 साल पहले पुरानी कार के बाजार में काफी तेजी आई थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं। हरून ने कहा कि कुछ साल पहले कुल कार की बिक्री में पुरानी कारों की हिस्सेदारी 25 से 30 प्रतिशत के बीच थी। अब यह आंकड़ा घटकर करीब 10 प्रतिशत रह गया है।


लखनऊ में नई कारों का कुल बाजार 1,000 से 1,500 इकाई प्रति माह है। इसमें लखनऊ और करीब के शहरों के ग्राहक शामिल हैं। डीलर ने कहा कि हमें प्रत्येक कार के लिए चार प्रतिशत वैट देना पड़ता है, इससे हमारी मुश्किलें बढ़ी हैं। लखनऊ में करीब 60 डीलर ऐसे हैं जो पुरानी कारों का खरीद-फरोख्त करते हैं। खरीदार आमतौर पर मारुति, इंडिका, सेंट्रो जैसी छोटी गाड़ियों को अधिक पसंद करते हैं।


पुरानी कारों के कुल बाजार में सबसे अधिक 75 प्रतिशत हिस्सेदारी छोटी कारों की है। पुरानी कारों के डीलर सौदा पक्का होने पर विक्रता और खरीदार दोनों से 2 प्रतिशत का कमीशन लेते हैं। इन डीलर्स के अलावा शहर में मारुति ट्रू वैल्यू शॉप भी हैं। इसकी शुरुआत 2003 में हुई थी।


केटीएल प्राइवेट लिमिटेड (ट्रू वैल्यू) के बिजनेस प्रमुख अनिंदो बोस ने बताया कि शुरुआत में ट्रू वैल्यू का मकसद मारुति की पुरानी कारों की खरीद और बिक्री करना था लेकिन बाद में दूसरे ब्रांड की गाड़ियों की मांग बढ़ने पर हमें उन्हें भी रखना पड़ा। उन्होंने भी माना कि पिछले कुछ महीनों के दौरान पुरानी गाड़ियों की बिक्री में कमी आई है।


टाटा मोटर्स की लखटकिया कार नैनो के लांच के बाद भी पुरानी गाड़ियों ने चमक खो दी है। नैनो एक लाख रुपये की आकर्षक कीमत पर आ रही है। टाटा नैनो को दिल्ली आटो एक्सपो में लांच किया जा चुका है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह गाड़ी बाजार में होगी। इतनी कम कीमत में नई गाड़ी के आने से पुरानी गाड़ियों का कारोबार करने वाले डीलर्स परेशान हैं।


आखिर जब 1 लाख रुपये से कुछ अधिक में नई गाड़ी मिल रही है तो कोई पुरानी गाड़ी क्यों लेना चाहेगा।  एक डीलर ने बताया कि ‘पुरानी कार मध्य वर्गीय लोगों में लोकप्रिय है। अब नैनो के आने के बाद पुरानी कार की मांग में तेजी से कमी आएगी। हम कई ऐसे ग्राहकों को जानते हैं जिन्होंने नैनो के आने तक कार खरीदने की योजना को टाल दिया है। बाजार में जारी मंदी के आने वाले दिनों में और गहराने के आसान हैं।’


पुरानी गाड़ियों को खरीदते समय ग्राहक अब मोलतोल भी अधिक करने लगे हैं और अब एक अच्छी मारुति 800 या वैन को 25,000 रुपये में आसानी से खरीदा जा सकता है। जबकि ओपेल या होंडा सिटी जैसी बड़ी गाड़ियों को 50,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये में मिल जाएंगी। कारोबारियों ने लखनऊ कार डीलर्स एसोसिएशन नाम से एक संस्था का गठत किया है, हालांकि पिछले 6 से 7 महीनों के दौरान एसोसिएशन की कोई भी आम सभी नहीं हुई है।


लखनऊ कार डीलर्स एसोसिएशन के सदस्य डी एन श्रीवास्तव ने बताया कि ‘हम अगले महीने इस मुद्दे पर निपटने के लिए एक बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं। भारतीय ग्राहक आज भी ब्रांडेड गाड़ियां ही पसंद करते हैं और उन्हें कंपनी के नाम और प्रोत्साहन के जरिए रिझाया जा सकता है। इससे हमारा कारोबार प्रभावित हो सकता है, इससे निपटा जाना चाहिए।’


तगड़ी टक्कर


ग्राहक टाटा की नैनो का इंतजार कर रहे हैं और तब तक पुरानी कार से दूरी ही भली है
नई कारों के लिए आसान शर्र्तो पर फिनांस सविधा मौजूद है, फिर भला पुरानी कार क्यों लें
उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी से पुरानी कार की बिक्री पर 4 प्रतिशत का वैट लगाया जा रहा है

First Published - April 7, 2008 | 10:37 PM IST

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