बिहार में बाढ़ की वजह से पटना की मंडियों की हालत भी काफी खराब हो गई है। उत्तर-पूर्वी बिहार के कई इलाके प्रलयंकारी बाढ़ की चपेट में है।
इन इलाकों से पटना की मंडियों में हर रोज 15 से 20 लाख रुपये की सोयाबीन बड़ी, मिर्च-मसाले, खाद्य तेल, दलहन, पापड़ आदि हर रोज आया करता था। लेकिन आवागमन के साधन बाधित होने और लोगों के बाढ़ में फंसने की वजह से इन चीजों की आवक 45 फीसदी तक कम हो गई है।
व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक रमजान और त्योहारी मांग की वजह से स्थानीय खरीदारों के कारण ही कारोबार थोड़ा बहुत चल रहा है। किराना मंडी के व्यापारी विनोद अग्रवाल ने टेलीफोन पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बाढ़ की वजह से उत्तर बिहार के खरीदार बिल्कुल नहीं आ रहे हैं। ऐसी हालत में बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
अनाज मंडी के व्यापारी मनोज कुमार के मुताबिक हालांकि त्योहारों के लिए स्थानीय लोग खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन वह भी उम्मीद के अनुरूप नहीं है। चाहे वह किराना मंडी मारुफगंज हो या खाद्य तेल मंडी गुलजार बाग या अनाज मंडी मसूरगंज हो या महाराजगंज, सभी जगह बिकवाली की स्थिति काफी दयनीय है। इसके अलावा मच्छरहट्टा सहित अन्य मंडियों के कारोबार में भी भारी गिरावट आई है।
पटना के सब्जीबाग इलाके के व्यापारी अशोक साहू का कहना है कि बाढ़ की वजह से उत्तर पूर्वी बिहार से आने वाली सब्जियों की मात्रा में भी काफी कमी आई है। हरी सब्जियों की आवक तो बुरी तरह प्रभावित हो गई है। सहरसा, मधेपुरा, सुपौल और अररिया जैसे जिलों से किसी भी सामान की आवक नहीं हो पा रही है।