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झारखंड में बारिश से मुरझाया किसानों का चेहरा

Last Updated- December 07, 2022 | 11:04 AM IST

इसे किसानों की नियति ही कहा जाए कि कभी मानसून में वर्षा नहीं होने की वजह से खेतों में लहलहाती फसल सूख जाती हैं, तो कभी भारी बारिश किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर देती है।


झारखंड-बिहार के किसानों का भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हाल है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बुआई के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए किसानों की चेहरे पर उस समय खुशी की लकीरें दौड़ पड़ी, जब मानसून ने समय से कुछ पहले ही दस्तक दे दी।

खेतों में खुशी के गीत गाते किसान धान की बुआई में जुट गए, लेकिन जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई की शुरुआत में हुई मूसलाधार बारिश ने लगी लगाई फसल को बर्बाद कर दिया। झारखंड के पलामू, रांची, लोहरदग्गा, डालटेनगंज, हजारीबाग, गढ़वा, लातेहर, रामगढ़ आदि जिलों में धान के बीचड़े भारी बारिश की वजह से सड़ रहे हैं, वहीं भदई फसल मक्का, अरहर, उड़द और तिलहन की बुआई में भी देरी हो रही है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में धान के बाद भदई फसल ही सबसे अधिक बोइ जाती है। रामगढ़ जिले के किसान रामदीन ने बताया कि इस बार समय पर मानसून आने की वजह से धान की अच्छी फसल होने की उम्मीद थी, लेकिन भारी बारिश ने हमारी उम्मीदों को पूरी तरह से धो डाला। भारी बारिश की वजह से मेड़ टूट गए और खेतों में डाला गया खाद तक बह गया।

हजारीबाग के किसान अशोक पंडित का कहना है कि खेतों में पानी भर जाने की वजह से तिहलन की बुआई अब तक शुरू नहीं हो पाई है। कुछ इलाकों में बुआई शुरू भी हुई है, तब भी करीब 40-50 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में अब तक बुआई नहीं हो सकी है जबकि जुलाई के पहले से दूसरे हफ्ते तक इसकी बुआई खत्म हो जानी चाहिए थी।

उलटे पड़े मानसून के झोके

राज्य में जून के अंतिम सप्ताह और जुर्लाई की शुरुआत में हुई मूसलाधार बारिश ने किया लगी हुई फसल को बर्बाद

First Published - July 15, 2008 | 10:04 PM IST

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