पिछले वित्त वर्ष यानी 2007-08 के दौरान विभिन्न बैंकों ने पंजाब के छोटे और मझोले उद्योगों (एसएमई) को बेतहाशा ऋण दिया।
इससे न केवल बैंकों को अपने लक्ष्य हासिल करने में सहायता मिली बल्कि राज्य के हजारों लघु उद्योगों को भी खुद का परिचालन बढ़ाने में काफी मदद मिली है। पंजाब नेशनल बैंक द्वारा तैयार किए गए एसएलबीसी (राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक) आंकड़ों के मुताबिक बैंकों ने करीब 171,142 एसएमई इकाइयों को 15,362 करोड़ रुपये मुहैया करवाए हैं।
राज्य में करीब 167,594 छोटे उद्यम इकाइयों को 11,305 करोड़ रुपये मुहैया कराया गया है। उल्लेखनीय है कि बैंक ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 31.9 फीसदी की वृध्दि दर्ज किया जबकि उसके पिछले वर्ष समान अवधि के दौरान बैंक द्वारा 30.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज किया गया था। बैंकों ने 3,548 मझोले उद्यम इकाइयों को 4,057 करोड़ रुपये मुहैया कराया था।
राज्य के सार्वजिक क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब के छोटे और मझोले उद्योगों के बीच पुनर्भुगतान की संस्कृति दूसरे राज्यों के अपेक्षा बहुत अच्छा है। अधिकारी ने बताया कि सीआईआई जैसे औद्योगिक निकायों द्वारा क्लस्टरों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम से राज्य में सक्षम इकाइयों की क्षमता की पहचान करना काफी आसान हो गया है।
बहरहाल, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल जैसी बड़ी इकाइयों की वजह से भी बैंकों को काफी मदद मिल रही है और शायद यही कारण है कि बैंक एसएमई को दिए जाने वाले ऋण में विस्तार कर रहा है। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्र पी चिदंबरम ने भी यह घोषणा किया था कि सुक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों के अंतर्गत प्रत्येक शहरी और अर्धशहरी बैंक शाखाओं को हर साल कम से कम 5 नई इकाइयों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।
इस आर्थिक नीति को आत्मसात करते हुए वित्तीय वर्ष 2007-08 के दौरान पंजाब के 1822 शहरीअर्धशहरी विभिन्न बैंकों शाखाओं ने छोटे और मझोले उद्योगों के लिए 23,499 नई खाताओं को ऋण मुहैया कराया। जहां तक आईसीआईसीआई और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे बैंकों की बात है तो इन्होंने राज्य की एक भी नई इकाई को ऋण मुहैया नहीं कराया है जबकि कॉर्पोपेशन बैंक, बैंक ऑफ राजस्थान, आईडीबीआई बैंक द्वारा कुछ नए खाते खोले तो गए हैं लेकिन वे भी अपने वार्षिक लक्ष्य से काफी कम ही थे।
बहरहाल, इससे पता चलता है कि यहां सुधार की पूरी गुंजाइश है। पंजाब में छोटे और मझोले उद्योगों यानी एसएमई और एसएसआई को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में एक अलग से औद्योगिक विकास बोर्ड की स्थापना की है। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों पंजाब से बड़ी संख्या में छोटे और मझोले उद्योगों का पलायन हुआ है जिसके बाद राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं।