मंदी के दौर में खरीदारों की बेरुखी से परेशान रियल एस्टेट क्षेत्र की परेशानी का असर अब सरकारी खजाने में भी दिखाई देने लगा है।
पिछले चार सालों में पहली बार रजिस्टे्रशन शुल्क और प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली में कमी होने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है। रजिस्ट्रेशन शुल्क और प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली में कमी होने की मुख्य वजह मंदी के चलते प्रॉपर्टी बाजार से लोगों का मोहभंग होना बताया जा रहा है।
हालांकि सरकार ने रजिस्ट्रेशन शुल्क की वसूली बढ़ने के लिए इस साल दो बड़े कदम उठाए थे। एक एमनेस्टी स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट देकर लोगों को प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए प्रोत्साहित करना और दूसरा रजिस्ट्रेशन शुल्क की दर को 1 फीसदी तय करके वसूली में बढ़ोतरी करना था।
संपति मामले के जानकार विनोद संपत के अनुसार सरकार के इन दो कदम के बावजूद चालू वित्त वर्ष में रजिस्ट्रेशन शुल्क की वसूली में लगभग 10 फीसदी की कमी आने वाली है। माफी योजना अगर नहीं लागू की जाती तो लगभग 250 करोड़ रुपये की और कमी हो सकती थी।
प्रॉपर्टी मामलों के जानकार यशवंत दलाल के अनुसार इस बार स्टैंप डयूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क दोनों में कमी होना लाजिमी है। दलाल के अनुसार इस बार लगभग 40 फीसदी की कमी होगी क्योंकि जून 2008 के बाद मुंबई में फ्लैटों की बिक्री और बुकिंग न के बराबर हुई है।