इन दिनों मुंबई मानो सरकारी फरमान के तले दबा हुआ है। जब से सरकार ने यह आदेश जारी किया कि दुकानों और छोटे व्यावसायिक स्थलों पर मराठी भाषा में साइनबोर्ड लगाना अनिवार्य है, कारोबारी थोड़े सहमे हुए हैं।
जो भी साइनबोर्ड अंग्रेजी या हिन्दी में लिखे हुए हैं, उसके अलावा मराठी में लिखे हुए साइनबोर्ड बनाने की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है। मुंबई महानगर पालिका (मनपा) ने मराठी भाषा में साइन बोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई करने का निश्चय किया है।
मुंबई मनपा के अतिरिक्त आयुक्त आर ए राजीव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मराठी भाषा में बोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानदारों और छोटे व्यवसायियों पर कार्रवाई के तहत एक से पांच हजार रुपये दंड स्वरुप वसूला जाएगा। गौरतलब है कि मियाद खत्म होने के बाद मनपा ने मराठी साइन बोर्ड की जांच के लिए 80 निरीक्षकों की टीम का गठन किया है।
ये निरीक्षक मनपा के सभी प्रभागों में दुकानों की जांच करने के बाद प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। सबूत के तौर पर दुकानों के साइन बोर्डों की तस्वीर भी खींची जाएगी। मनपा के अतिरिक्त आयुक्त आर. ए. राजीव ने बताया कि मराठी साइन बोर्डों के लिए मनपा ने बी. एन. चौधरी समिति गठित की है, जो मराठी साइन बोर्ड के आदेश का पालन नहीं करने वाले दुकानदारों के लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश राज्य सरकार से करेगी।
मुंबई में कुल 4 लाख 84 हजार दुकानें हैं, जिनमें से 80 हजार दुकानों पर अब तक मराठी में साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। राजीव ने बताया कि 2001 से 2007-08 इन आठ वर्षों में मनपा ने 13 हजार दुकानों पर कार्रवाई करते हुए 66 लाख रुपये दंड स्वरुप वसूले हैं।
प्राप्त सूचना के अनुसार अब तक 90 फीसदी दुकानदारों ने मराठी भाषा में साइन बोर्ड लगा लिए हैं और कुछ ने साइन बोर्ड बनाने के ऑर्डर दे दिए हैं। साइन बोर्ड जल्द से जल्द बनाने की होड़ में फ्लेक्स बोर्ड एवं रंगाई कामगारों का व्यवयास अपने चरम पर है। पैसिफिक फ्लेक्स के मालिक मनसुखभाई गाडा ने बताया कि पिछले 5-6 दिनों से कर्मचारियों द्वारा दिन-रात फ्लेक्स बोर्ड बनाने का काम लगातार जारी है।
मनसुखभाई का मानना है कि मनसे द्वारा अख्तियार किए गए आक्रामक रुप के पश्चात ही फ्लेक्स बोर्ड बनवाने की प्रक्रिया में तेजी का रुख आया है। जिसके बाद से ही अमूमन पहले आए ऑर्डर को बगल में रखकर मराठी भाषा के फ्लेक्स बोर्ड निर्माण को प्रमुखता दी जा रही है।
मुंबई का व्यापारी वर्ग मुंबई मनपा के इस आदेश का स्वागत कर रहा है, लेकिन आदेश को लेकर हुई राजनीति से काफी आहत है। मनपा के आक्रामक रुख को लेकर अदालत में चुनौती देनेवाले फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेल्फेयर एसोसिएशन के वीरेन शाह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बंबई उच्च न्यायालय ने मनपा की भूमिका के साथ-साथ राज्य सरकार पर कड़ा एतराज जाहिर किया है।
शाह ने कहा कि यदि सरकारी आदेशों को लेकर राजनीति होती है, तो भविष्य में पश्चिम बंगाल की भांति मुंबई में भी औद्योगिक इकाइयां और व्यापारी वर्ग अन्य राज्यों की ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं।