कमबख्त महंगाई ने प्रेमियों को अपनी खनक से रिझाने वाली चुड़ियों को भी नहीं छोड़ा है।
लंबे अर्से से कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी की मार झेल रही चुड़ियों को आखिर महंगाई के आगे टूटना ही पड़ा। फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग ने कीमतों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है।
कारोबार से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि केमिकल, ईधन और बिजली के महंगा होने के बाद कीमतों में बढ़ोतरी लाजमी हो गई थी। चूडी क़ारखानों के मालिकों ने हाल में हुई बैठक के दौरान एक मत से यह फैसला किया है। फिरोजाबाद मेटेलाईजर्स एसोसिएशन के संयोजक उमेश उपाध्याय ने बताया कि फिरोजाबाद में करीब 30 ऐसे कारखाने हैं जो चूड़ियों पर चांदी, सोना और तांबे की परत चढ़ाते हैं।
पिछले एक साल के दौरान इस संयंत्रों को प्रति माह करीब 30 से 50 हजार रुपये तक का घाटा उठाना पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह कच्चे माल की कीमतों में आई तेजी है लेकिन हाल में प्रदेश सरकार द्वारा बिजली की दरों में 14 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने से तो उद्योग की कमर ही टूट गई है।
इसके बाद चूड़ियों की कीमत में बढ़ोतरी के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा था। उपाध्याय ने कहा कि इन कारखानों के लिए बिजली बुनियादी जरुरत है। सभी जरूरी उपकरण बिजली से ही चलते हैं और बिजली के न रहने पर संयंत्रों को चलाने के लिए डीजल के संयंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन पिछले एक साल के दौरान डीजल की कीमतों में करीब 7 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है जबकि बिजली की दरें 14 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। इस कारण चूड़ी कारोबारियों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि फिरोजाबाद में हाल में हुई एसोसिएशन की बैठक में चूड़ी बनाने की दरों को बढ़ाने का फैसला किया गया है। इसके तहत 8 सदस्यों की एक समिति बनाई गई है जो चूड़ी बनाने के शुल्क में एक समान बढ़ोतरी करने के बारे में फैसला करेगी।
समिति नियमित तौर से लागत में बढ़ोतरी की समीक्षा भी करेगी और आने वाले महीनों में दरों में वृद्धि करने के बारे में फैसला करेगी।उन्होंने कहा कि संयंत्र मालिक सभी जिंसों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से अवगत हैं और उद्योग द्वारा सिर्फ कीमतों में बढ़ोतरी करने के लिए बढ़ोतरी नहीं की जा रही है।
उन्होंने बताया कि मेटेलाइजिंग शुल्क में प्रस्तावित बढ़ोतरी के बाद चूड़ियों के एक सेट की कीमत केवल 50 पैसे बढ़ेगी। यह कीमतों में न्यूनतम बढ़ोतरी है लेकिन इस मामूली सी वृद्धि से संयंत्र मालिकों को घाटे से उबरने में काफी सहूलियत होगी।