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बुनकरों की बदहाली का अंत नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 12:00 AM IST

पावरलूम उद्योग को उद्योग का दर्जा मिले हुए तीन साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन मध्य प्रदेश स्थित ऐतिहासिक महत्व वाले शहर बुरहामपुर में एक लाख से अधिक बुनकरों का जीवन अभी भी कठिनाइयों की दास्तान बना हुआ है।


इस शहर में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में पावरलूम की स्थापना की गई थी। विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राज्य सरकार ने एक बार फिर पावरलूम क्षेत्र को घटी हुई दरों पर बिजली मुहैया कराने की घोषणा की है।

राज्य सरकार ने दो दिन पहले क्षेत्र को 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से दी जा रही बिजली की दरों में बदलाव करने का फैसला किया। लेकिन इस फैसले से कुछ पावरलूम मालिकों को ही फायदा मिलेगा। शहर के छोटे बुनकर पिछले एक पखवाड़े से भारी बिजली कटौती के विरोध में सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

बुनकरों का कहना है कि दिग्विजय सरकार के समय ही घटी दरों पर बिजली मुहैया कराने के आदेश दे दिए गए थे, लेकिन यहां तो बिजली ही नहीं आती है। नए आदेशों से केवल उन्हें ही फायदा मिलेगा जिनके लूम्स 25 एचपी लोड़ से जुड़े हुए हैं। राज्य कैबिनेट के फैसलों के मुताबिक पावरलूम को 25 एचपी तक बिजली की खपत के लिए 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा।

इसी तरह किसानों को 500 यूनिट तक खपत के लिए 0.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा जबकि 500 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने पर बिजली की दर 1 रुपये प्रति यूनिट होगी। नई दरें 15 अप्रैल से प्रभावी हैं। बुरहानपुर के नसीरुद्दीन फारसी ने 701 में बसाया था और यह 3.5 किलोमीटर लंबी दीवाल के घेरे में कैद है। बाद में इस शहर पर अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना ने शासन किया।

कॉटन फाइबर और धूल के घेरे में कैद इस शहर के ज्यादातर लोग सांस की बीमारी से जूझ रहे हैं बुरहानपुर में प्रतिदिन 25 लाख मीटर कपड़ा तैयार होता है, हालांकि दीगर बात यह है कि यहां के बुनकारों को तन ढकने भर का कपड़ा भी मुश्किल से मयस्सर हो पाता है। बुनकर बेहद गरीबी में अपनी जिंदगी काट रहे हैं।

भारतीय पावरलूम विकास और निर्यात संवर्धन परिषद उपाध्यक्ष अकरम अंसारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बुनकरों के लिए ‘पिछले 4 वर्षो के दौरान कुछ नहीं किया गया है और राज्य सरकार सिर्फ कागजों पर वादा करती आई है।’ घटी दरों पर बिजली देने के राज्य सरकार के हालिया फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ‘यह सुविधा पिछले 10 वर्षो से है, लेकिन जब बिजली ही नहीं है तो बिजली की दरों को घटाने का कोई अर्थ नहीं बनता है।’

बुरहामपुर में कारोबारियों के पास अपना करोबार और प्रसंस्करण इकाइयों को बढाने के लिए कोई जगह नहीं है। ज्यादातर पावरलूम 1950 के बने हुए हैं और बुनकर इन्हें हटा नहीं सकते हैं। अंसारी ने बताया कि बुनकरों के पास नया पावरलूम खरीदने के लिए धन नहीं है। बैंक उन्हें कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं और केवल कोऑपरेटिव के लिए ही ऋण मंजूरी कर रहे हैं।

पावरलूम को घटी दरों पर बिजली देने के अलावा राज्य सरकार ने 30 यूनिट तक मासिक खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 1.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देने का फैसला किया है। इसके अलावा पच्चीस हार्सपावर तक भार वाले पावरलूम उपभोक्ताओं को दो रुपये प्रति यूनिट पर बिजली दी जायगी तथा इन उपभोक्ताओं द्वारा वास्तविक खपत के आधार पर ही भुगतान किया जाएगा।

अस्थायी कनेक्शन वाले निम्न दाब कृषि उपभोक्ताओं को 1.6 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा। ग्राम पंचायत की सड़क बत्ती योजनाओं के लिए बिजली की दरें 45 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह तथा नगरपालिका एवं नगर पंचायत की निम्नदाब सड़क बत्ती योजनाओं के लिए 85 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह की दर से बिजली दी जाएगी। सिंचाई उपभोक्ताओं को वार्षिक न्यूनतम प्रभार के भुगतान से छूट दी जाएगी।

First Published - May 16, 2008 | 11:16 PM IST

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