हरियाणा राज्य में खाद की आपूर्ति वर्तमान में संतोषजनक है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी इसकी उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। आइए इसकी वजहों पर गौर करते हैं।
समय से पहले बारिश होने की वजह से राज्य में धान पहले ही बोया गया है। वैसे तो आम तौर पर राज्य में धान 10 जून के आस पास बोया जाता है, लेकिन इस बार राज्य के अधिकतर भागों में यह अप्रैल में ही बोया जा चुका है।
धान को पहले से बोने के कारण इसकी मांग पहले से ही ज्यादा हो गई है और आने वाले महीनों में भी इसकी मांग बढ़ती ही जाएगी। मांग के बढ़ने से अधिकारियों को इस बात का डर है कि आने वाले महीनों में खाद की आपूर्ति में कमी हो सकती है। जैसा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में खाद के कमी की रिपोर्ट आई है इसलिए अधिकारियों का मानना है कि इससे पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में खाद आवंटन प्रभावित हो सकता है।
इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इन राज्यों में खाद की कमी होने से केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के हिस्से के खाद आवंटन में कटौती कर कमी वाले राज्यों को दे सकती है। इस वजह से हरियाणा में खाद की आपूर्ति को लेकर दबाव बढ़ सकता है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार खाद कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी को खत्म करने पर विचार कर रही है। इससे भी आने वाले महीनों में खाद की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
वैसे भी इसकी सबसे बड़ी समस्या रबी मौसम में होगी, जिसमें खरीफ मौसम की तुलना में खाद की मांग 2.5 गुना बढ़ जाता है। राज्य में जुलाई में खाद का आवंटन 1,26,000 मीट्रिक टन होगा और राज्य को जून के अंत तक 1.05 मीट्रिक टन खाद मिलने की संभावना है।