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स्थानीय लोगों के हितों से नहीं होगा समझौता

Last Updated- December 07, 2022 | 8:09 PM IST

बीते वर्षो के दौरान छत्तीसगढ़ ने ताबड़तोड़ निवेश समझौते कर साथी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। तो क्या अब राज्य में और निवेश जुटाने की क्षमता नहीं रह गई है?


तेज औद्योगीकरण से उपजी समस्याओं से किस तरह से निपटा जा रहा है और छोटे और मझोले कारोबारियों को बचाने के लिए राज्य की भाजपा सरकार क्या खास कर रही है? इन सवालों के साथ हमारे संवाददाता आर कृष्णा दास ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से बातचीत की।

क्या आपको लगता है कि एक लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव हासिल करने के बाद अब राज्य में निवेश जुटाने की और संभावनाएं नहीं रह गई हैं?

निवेशकों के लिए छत्तीसगढ़ अभी भी काफी आकर्षक गंतव्य है। राज्य को इस्पात और बिजली क्षेत्र में निजी निवेश जुटाने में काफी कामयाबी हासिल हुई है। लेकिन अब नए निवेशकों के लिए ज्यादा संभावनाएं नहीं बची हैं। (राज्य में 1 जुलाई, 2008 तक 73 कंपनियां कुल 90,821 करोड़ रुपये के निवेश समझौते कर चुकी हैं।) ज्यादातर कंपनियां अब विस्तार योजनाओं पर काम कर रही हैं और राज्य सरकार भी अब नए निवेश प्रस्तावों पर दस्तखत के लिए अधिक जोर नहीं दे रही है।

लेकिन, क्या ये प्रस्ताव हकीकत में तब्दील हो रहे हैं?

ज्यादातर प्रस्तावों पर काम जारी है। राज्य में भाजपा सरकार का मानना है कि स्थानीय लोगों के हितों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। बस्तर में टाटा के प्रस्तावित इस्पात संयंत्र के मामले में जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया गया। लेकिन मैंने अधिकारियों ने कहा कि जमीन अधिग्रहण के मसले पर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए। फिर चाहें परियोजना के काम में 3 से 6 महीने की देरी ही क्यों न हो जाए।

कई कंपनियां निवेश करने में असफल रही हैं?

राज्य सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है जो यह पता लगाएगी कि क्या कंपनियां उन प्रस्तावों को लेकर गंभीर हैं, जिनके लिए राज्य सरकार के साथ समझौते किए गए हैं। यदि समिति को कोई खामी दिखती है तो कंपनी के साथ किए गए समझौते को रद्द किया गया है। (अभी तक राज्य सरकार ने 73 सहमति पत्रों को रद्द किया है।)

आप राज्य की औद्योगिक, विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) और निवेश नीतियों का मूल्यांकन किस तरह करते हैं।

मैं दावा करता हूं कि दूसरे राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में निवेशकों के लिए अधिक आकर्षत और लुभावनी नीतियां बनाई गई हैं। और राज्य में निवेश की इच्छा जताने वाले निवेशकों ने इस बात की पुष्टि भी की है।

अन्य परियोजनाओं के अलावा करीब 49 कंपनियों ने 2011 तक 42,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए बिजली क्षेत्र में निवेश की पेशकश की है। जहां तक सेज की बात है तो छत्तीसगढ़ बुनियादी आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकता है क्योंकि राज्य में निर्यात के लिए कोई बंदरगाह नहीं है। सरकार केवल रत्न और आभूषण के लिए एक सेज का विकास कर रही है।

सरकार छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठा रही है?

हम छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए उत्पादों के विपणन और उन्हें सही मंच मुहैया कराने पर जोर दे रहे हैं। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अलग पहचान बनाने वाले हस्तशिल्पों को खास तौर से बढ़ावा दिया जा रहा है।

इसके अलावा राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि छोटे कारोबारियों को अधिकतम कच्चा माल मिल सके ताकि उन्हें संकट का सामना न करना पड़े। स्थानीय उद्योगपतियों के लिए लौह अयस्क के हिस्से को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) ने बातचीत की जा रही है।

भविष्य में निवेश और कारोबारी गतिविधियों को बढ़ावा कने के लिए के लिए क्या योजनाएं हैं?

राज्य सरकार ने अगले 5 वर्षो के लिए अपना एजेंडा तय कर लिया है और बहुमूल्य खनिजों के मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा।

भविष्य में हमारा फोकस पूरी तरह से मूल्यवर्धन पर होगा। हमने एनएमडीसी ने लौह अयस्क का निर्यात रोकने और स्थानीय उद्योगपतियों को आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा है ताकि राज्य में ही खनिजों का मूल्यवर्धन किया जा सके। राज्य सरकार कच्चे माल के संकट से गुजर रहे उद्योगों की आजीविका भी सुनिश्चित करेगी।

राज्य में आने वाले उद्योगों के लिए पानी और कोयला संपर्क को लेकर भी क्या कोई समस्या आ रही है?

नहीं। उद्योगों को पानी और कोयले की समस्या नहीं है। बड़े उद्योग नदियों पर छोटे बांध बना सकते हैं और उद्योग के लिए पानी हासिल कर सकते हैं। इससे इलाके में सिंचाई को भी बढ़ाव मिलेगा और भूमिगत जल के स्तर में भी सुधार होगा।

जहां तक कोयले की बात है तो राज्य के पास केवल ब्लाक की सिफारिश करने का अधिकार है। सौभाग्य से साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के पास पर्याप्त भंडार है जिससे कोयले की कोई कमी नहीं है।

First Published - September 9, 2008 | 10:31 PM IST

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