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गाड़ियां तो होंगी, पर खड़ी कहां होंगी

Last Updated- December 07, 2022 | 1:44 AM IST

दिल्ली 2021 तक वाहनों से अटी पड़ी होगी। वाहनों की संख्या 2 करोड़ हो जाएगी। पार्किंग की जगह नहीं होगी।


हर जगह जाम ही जाम का नजारा होगा। मेट्रो व लो फ्लोर बसें भी तब के समय में मददगार साबित नहीं होगी। पेट्रोल व डीजल की खपत बढ़कर चार गुनी हो जाएगी। प्रदूषण का स्तर भी बढ़ेगा।

हाल ही में सदर बाजार के व्यापारियों के साथ नगर निगम मुख्यालय में हुई बैठक में वाहनों की संख्या का अनुमानित खुलासा किया गया है। इस बैठक में निगम के अधिकारी, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के उपायुक्त, व्यापारी नेता व कई निगम पार्षदों के अलावा दिल्ली की विभिन्न रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में पेश की गयी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 तक दिल्ली में पार्किंग के लिए 1,48,300 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।

उस समय तक सभी वाहनों की पार्किंग के लिए 2 करोड़ कार रखने की जगह के बराबर की जरूरत होगी। इनमें से 20 फीसदी जगह ही उपलब्ध है। यानी कि 2021 तक 160 लाख कार रखने के बराबर की जगह की आवश्यकता होगी। टाउन प्लानर आरजी गुप्ता कहते हैं, ’13 साल बाद दिल्ली की जनसंख्या अनुमान के मुताबिक 2.6 करोड़ हो जाएगी। इतनी जनसंख्या हो जाने पर एक दिन में 4 करोड़ आदमी आवाजाही करेंगे।

ऐसे में पर्याप्त पार्किंग नहीं मिलने पर अफरा-तफरी की स्थिति हो सकती है।’ उनके मुताबिक 2 करोड़ वाहनों की संख्या में साइकिल भी शामिल है। फिलहाल दिल्ली में कुल 55 लाख वाहन है। इनमें साइकिल की संख्या महज 7 फीसदी है। पार्किंग की समस्या पर व्यापारियों ने कहा कि दिल्ली में 2 से 10 लेवल वाली पार्किंग विकसित होनी चाहिए।

गुप्ता कहते हैं कि 10 साल बाद पार्किंग की समस्या नहीं रहे, इस वास्ते दिल्ली के सभी पार्क, सड़क व स्कूलों के मैदान के नीचे जैसी जगहों पर पार्किंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसके अलावा बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि अगर किसी के पास जमीन खाली है और उसे वह पार्किंग में बदलना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत मिलनी चाहिए।

वाहनों की इस बढ़ती संख्या से दिल्ली में पेट्रोल व डीजल की खपत में भी आज के मुकाबले चार गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल पेशावरिया के मुताबिक वर्तमान में दिल्ली में प्रतिमाह 1,70,000 किलोलीटर डीजल और 85 हजार किलोलीटर पेट्रोल की खपत है।

2021 के दौरान यह खपत लगभग चार गुना अधिक हो जाएगी। वैकल्पिक ईंधन के विशेषज्ञों का कहना है कि बाहर के देशों में जो नई कारें बाजार में आ रही हैं उनमें वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग के हिसाब से इंजन लगाया गया है। लेकिन उसकी कीमत काफी अधिक होती है।

First Published - May 26, 2008 | 10:26 PM IST

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