मानसून पहले की बारिश ने जहां उत्तर प्रदेश के किसानों के चेहरों पर रौनक ला दी है। वहीं बुंदेलखंड का भाग्य अभी भी रूठा हुआ है।
मई के अंतिम पखवाड़े मे हुई बरसात ने पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान के लिए अनुकूल हालात पैदा कर दिया है। कृषि वैज्ञानिक भी किसानों को समय से धान की पौध लगाने की सलाह दे रहे हैं। अफसोस की धूप की तपिश के बीच बारिश ने बुंदेलखंड को अपनी मेहरबानी से अलग रखा है।
बीते तीन दिन की बरसात में बुंदेलखंड के झांसी जिले में 0.4 मिली मीटर पानी बरसा जबकि बांदा, ललितपुर और महोबा में आंधी के बाद की बारिश ने केवल जमीन को भिगोने भर का काम किया है। बुंदेलखंड के जालौन जिले में बारिश अन्य जिलों से थोड़ी ज्यादा हुई पर धान की फसल के लिए यह नाकाफी है।
मौसम विभाग के निदेशक आर के कुलश्रेष्ठ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि झांसी में 0.4 मिली मीटर की वर्षा रिकार्ड की गई है। मशहूर भू वैज्ञानिक डॉ. ओ पी शर्मा के अनुसार जालौन जिले में पानी तो बरसा पर केवल जमीन को हल्का नम करने के लिए ताकि किसानों के फायदा पहुंचने के लिए। श्री शर्मा ने कहा कि धान की फसल इस साल भी किसानों के लिए बुंदेलखंड में सपना ही रहेगी।
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में बीते 6 साल से जबरदस्त सूखा पड़ रहा है और लगभग सभी जिलों में बारिश सामान्य से आधा भी नहीं हो रही है। बुंदेलखंड में सूखे के कारण पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है। लगातार सूखे को देखते हुए और भूजल के गिरते स्तर के मद्देनजर राज्य सरकार ने बुंदेलखंड में कृत्रिम बारिश का सहारा लेने फैसला किया है।
समूचे क्षेत्र में कृत्रिम वर्षा के लिए रूसी वैज्ञानिकों का एक दल मई के पहले हफ्ते में बुंदेलखंड का दौरा कर चुका है। दल की रिपोर्ट के मुताबिक कृत्रिम वर्षा के लिए जून के आखिरी हफ्ते से लेकर जुलाई के बीच तक का समय सबसे बेहतर है। राज्य सरकार बुंदेलखंड में लगभग 20 मिली मीटर कृत्रिम बारिश के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जहां बुंदेलखंड में बारिश ने किसानों फिर से ठगा है वहीं बाकी प्रदेश के किसान धान के पौधे लगाने की तैयारी में हैं।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो चंद्रिका प्रसाद ने किसानों को धान के पौधों को र्सनई और ढैंचा के साथ लगाने की सलाह दी है। उनके मुताबिक मौजूदा समय धान के लिए बेहद अनुकूल है।