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अबके बरस तेरी चूनर को धानी कर देंगे

Last Updated- December 07, 2022 | 5:03 AM IST

मानसून के दौरान बोई जाने वाली खरीफ की फसलों में धान सबसे प्रमुख है। धान के रकबे के लिहाज से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है।


धान के समर्थन मूल्य में उम्मीद के मुताबिक वृद्धि न होने से किसानों में निराशा है लेकिन विशेषज्ञों को अनुमान है कि देश में धान की रिकार्ड पैदावार होगी।

धान का महत्व इसलिए भी है क्योंकि चावल देश की 65 प्रतिशत आबादी का प्रमुख भोजन है और करीब 5 करोड़ परिवारों को चावल आधारित उत्पादों से रोजगार मिलता है। तो फिर आइए जायजा लेते हैं कि राज्यों में धान की रोपाई के लिए क्या तैयारियां चल रही हैं।

बंगाल में बढ़ेगा रकबा

बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसूनी झोकों ने पश्चिम बंगाल के खेतों को भिगोना शुरू कर दिया है। केन्द्र सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य में 105 रुपये की बढ़ोतरी किए जाने के कारण इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि धान के रकबे में खासी बढ़ोतरी होगी।

इसके अलावा मानसून के अनुकूल रहने के कारण किसान और कारोबारी बंपर पैदावार की उम्मीद लगा बैठे है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के निदेशक एस डी चटर्जी ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस साल राज्य में 57.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर करीब 148 लाख टन चावल का उत्पादन किए जाने की उम्मीद है।’

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार किसानों को विभिन्न तरह की कृषि उपकरणों के लिए सहायता दे रही है। इसके अलावा पानी और बिजली आदि सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था भी की जा रही है। चटर्जी ने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और विभिन्न कृषि योजनाओं के तहत किसानों को मदद पहुंचाई जा रही है और बीजों पर सब्सिडी दी जा रही है।

बिहार में बुआई शुरू

बिहार में धान की बीजों का छिड़काव शुरू हो गया है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस साल यहां चावल की अच्छी पैदावार होगी। राज्य के विभिन्न इलाकों में नर्सरी (बीज के  छिड़काव) का काम शुरू हो गया है।

पूसा विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक एस के झा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगर इस साल बाढ़ और सूखे जैसी कोई आपदा नहीं आती है तो राज्य में धान की पैदावार पिछले साल के मुकाबले काफी अच्छी होगी। लिहाजा किसानों को बेहतर आमदनी भी होगी।’ उन्होंने बताया कि राज्य में बिजली एक मूल समस्या है और अब क्योंकि डीजल और पेट्रो-केमिकल्स के दाम में बढ़ोतरी हो गई है।

बेहाल पंजाब और हरियाणा

पंजाब और हरियाणा में चावल की पैदावार विदेशी मुद्रा हासिल करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। हालांकि राज्य में कारोबारी बासमती को छोड़ कर अन्य किस्मों के चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध से परेशान है। हरियाणा में करनाल और कुरुक्षेत्र के आसपास के क्षेत्र में सबसे अच्छा चावल होता है। कृषि वैज्ञानिक धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि बासमती के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा हालांकि व्यापारियों पर इसका गहरा असर देखने को मिलेगा।

पंजाब में कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल राज्य में धान का रकबा 50,000 हेक्टेयर बढ़कर 26.50 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि खरीफ की फसल के मद्देनजर गांवों में 8 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है। पंजाब में इस समय मजदूरों की भी काफी कमी है जिसके चलते बुआई में देरी हो रही है। पंजाब और हरियाणा चावल के केन्द्रीय पूल में क्रमश: 29 प्रतिशत और 12 प्रतिशत योगदान करते हैं।

मप्र में बढ़ेगी पैदावार

मध्य प्रदेश धान की प्रति हेक्टेयर पैदावार के लिहाज से निचली पायदान पर आता है। इसलिए चालू खरीफ सत्र के दौरान सरकार ने उत्पादकता बढ़ाने पर खास तौर से ध्यान दे रही है। इस दौरान पर्याप्त बिजली, अच्छे बीज और सिंचाई की सुविधा पर जोर दिया जा रहा है।

राज्य में इस साल धान का रकबा और पैदावार दोनों में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। मध्य प्रदेश की कु ल कृषि योग्य भूमि के  22 प्रतिशत हिस्से पर धान की खेती की जाती है। राज्य के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में बालाघाट, मांडला, छिंदवाडा, बेतुल, रीवा, सीधी, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सतना और शहडोल हैं। राज्य से धान की सरकारी खरीद भी औसत दर्जे की रहती है। बीते वर्ष के दौरान 27 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पर धान की रोपाई हो ही नहीं पाई थी।

उप्र में नई तकनीक

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक सुजीत कुमार ने बताया कि परिषद ने यह सुझाव दिया है कि राज्य मंच सिस्टम ऑफ राइस इंसेंटिफिकेशन के तहत धान की पैदावार की जाए। धान के पैदावार की यह शैली सबसे पहले मेडागास्कर जैसे देशों में लागू की गई थी। इस तकनीक के तहत 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बजाय 5 से 6 किलोग्राम बीज का ही इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में बीते वर्षों के दौरान चावल के प्रति हेक्टेयर उत्पादन और धान की खेती के क्षेत्रफल में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है। इसलिए कृषि अनुसंधान परिषद ने सरकार को यह सलाह भी दी है कि रासायनिक खादों के बजाए गोबर या कंपोस्ट खादों पर निर्भरता बढ़ाई जाए। इससे एक ओर जहां पैदावार बढ़ेगी, वहीं इससे मिट्टी की उर्वरता भी बरकरार रहेगी। उन्होंने बताया कि राज्य के 2 कृषि आर्थिक क्षेत्रों में सुगंधित और बासमती किस्म के  धान की खेती होती है।

First Published - June 12, 2008 | 9:57 PM IST

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